चांदी के सिंहासन पर बिराजी मां वाला त्रिपुर सुंदरी
संवाद सहयोगी लखीसराय पौराणिक सिद्ध मंगलापीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी जगदंबा मंदिर बड़हिया

संवाद सहयोगी, लखीसराय : पौराणिक सिद्ध मंगलापीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी जगदंबा मंदिर बड़हिया की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। मान्यता है कि जम्मू कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी धाम के संस्थापक श्रीधर ओझा ने बड़हिया में मृतिका पिड के रूप में मां बाला त्रिपुर सुंदरी की स्थापना की थी। शक्तिपीठ के रूप में विख्यात इस मंदिर की मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। वर्ष 1992 में शुरू हुए मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद से लगातार जगदंबा मंदिर का विकास एवं सुंदरीकरण जारी है। मंदिर के गर्भगृह में मृतिका पिड के रूप में स्थापित मां बाला त्रिपुर सुंदरी के शक्ति पिड को पहली बार चांदी के सिंहासन से सुशोभित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में 23 फीट लंबा और आठ फीट चौड़ा चांदी का सिंहासन स्थापित किया गया है। जानकारी हो कि सफेद संगमरमर युक्त जगदंबा मंदिर में 151 फीट ऊंचा भव्य मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश आरोहित है। इससे मंदिर की भव्यता और दिव्यता श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। ---
32 किलो चांदी से बनाया गया घुमावदार सिंहासन
जगदंबा मंदिर न्यास समिति के सचिव जयशंकर प्रसाद, कोषाध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद सिंह, सुनील कुमार सिंह, अनिल सिंह से मिली जानकारी के अनुसार जगदंबा मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा के दौरान चढ़ाए गए चांदी के छत्र, मुकुट एवं अन्य आभूषणों को संग्रह किया गया। जमा किए गए उसी आभूषणों से चांदी का सिंहासन निर्माण कराकर मृतिका पिड के चारों और स्थापित किया गया है। न्यास समिति के सदस्यों ने बताया कि करीब 19 लाख रुपये के चांदी के आभूषण से करीब 32 किलो वजन का सिंहासन बनाया गया है। ---
23 फीट लंबा और आठ फीट चौड़ा है सिंहासन
जगदंबा मंदिर स्थित गर्भगृह में शक्तिपीठ के रूप में मिट्टी का पिड स्थापित है। गर्भगृह के अंदर दक्षिण छोर से सबसे पहले मां बाला त्रिपुर सुंदरी विराजती हैं। उसके बाद माता महाकाली, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती के स्वरूप में पिड स्थापित है। उत्तर दिशा की अंतिम छोर पर प्रतिस्थापता श्रीधर ओझा के रूप में एक पिड स्थापित है। पूरा मृतिका पिड करीब 23 फीट लंबा और करीब आठ फीट चौड़ा है। इसके चारों तरफ चांदी का सिंहासन स्थापित की गई है जिससे शक्तिपीठ की भव्यता और बढ़ गई है।
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