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    12 साल बाद फिर दोहराई गई हत्या की वही कहानी, जमीन के टुकड़े ने उजाड़ दिया एक और घर

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 04:13 PM (IST)

    लखीसराय के चानन प्रखंड स्थित लाखोंचक गांव में पुरानी रंजिश के चलते एक और हत्या हो गई। 2012 में खारो यादव की हत्या हुई थी और अब उनके बेटे छोटू कुमार को भी मार डाला गया। जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए यह खूनी संघर्ष हुआ। पुलिस की निष्क्रियता और अपराधियों के हौसले बुलंद होने से गांव में दहशत का माहौल है।

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    12 साल बाद फिर दोहराई गई हत्या की वही कहानी

    संवाद सूत्र, लखीसराय। चानन प्रखंड का लाखोचक गांव एक बार फिर खून से लाल हो गया। 2012 में पिता खारो यादव की गोली मारकर हत्या हुई थी और अब उसी परिवार के बेटे छोटू कुमार की भी उसी अंदाज में हत्या कर दी गई। जमीन के तीन कट्ठे टुकड़े पर कब्जे की लड़ाई ने एक और घर उजाड़ दिया।

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    पुलिस की नाकामी, अपराधियों का दुस्साहस

    गांव के लोग दबी जुबान में कहते रहे कि खारो यादव की हत्या के पीछे उसी का छोटा भाई उमेश यादव था। लेकिन पुलिस 12 साल में केस की फाइल तक नहीं खोल सकी।

    नतीजा यह हुआ कि आरोपित खुलेआम घूमता रहा और आखिरकार उसी ने अपने भतीजे की जान भी ले ली। अगर 2012 की हत्या में न्याय हुआ होता, तो शायद छोटू आज जिंदा होता।

    खून की विरासत

    छोटू ने बचपन में अपनी आंखों से पिता की हत्या देखी थी। वह कसम खा चुका था कि पिता का बदला लेगा। यही झलक उसकी आंखों में सबको दिखती थी। शायद यही डर उमेश यादव को सताता रहा। जमीन पर कब्जे की साजिश और भतीजे का बढ़ता दबाव। दोनों ने मिलकर उमेश को दोबारा खून बहाने के लिए मजबूर कर दिया। सोमवार की रात छोटे भाई ने बड़े भाई के बेटे को मौत की नींद सुला दी।

    गांव में दहशत, परिवार तबाह

    गांव के लोग कहते हैं कि यह हत्या सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि उस पुराने खून-खराबे का भी सिलसिला है जिसे कभी खत्म करने की कोशिश ही नहीं की गई। पहले पंचायती के नाम पर मामला दबाया गया, अब एक और जान चली गई।

    चार जेल में, बाकी फरार

    छोटू के भाई जंगली यादव के बयान पर पुलिस ने उमेश यादव, उसके तीन बेटों, पत्नी और बेटी को नामजद किया है। थानाध्यक्ष विजेंद्र कुमार ने कार्रवाई करते हुए चार को जेल भेज दिया है, लेकिन बाकी आरोपित अब भी फरार हैं। पुलिस छापेमारी कर रही है।