Lakhisarai News: शिक्षा विभाग में करोड़ों के घोटाला मामले में क्लर्क पर गिरी गाज, DPO ने लिया एक्शन
लखीसराय शिक्षा विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में लिपिक मु. कमाल अशरफ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में विद्यालयों की मरम्मत कार्यों में गड़बड़ियां पाई गईं जिसमें दोगुना भुगतान का प्रस्ताव था। लिपिक पर यौन शोषण और वाहन चोरी जैसे गंभीर आरोप भी हैं। उस पर अपूर्ण कार्यों का भुगतान कराने का भी आरोप है।

संवाद सहयोगी, लखीसराय। शिक्षा विभाग लखीसराय में करोड़ों रुपये के घोटाले एवं फर्जीवाड़े के मामले में आखिरकार कार्रवाई की शुरुआत हो गई है। विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) ने लिपिक मु. कमाल अशरफ के खिलाफ प्रपत्र क में आरोप गठित करते हुए विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है।
इसके बाद मुंगेर के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक ने लिपिक से गठित आरोपों पर साक्ष्य सहित जवाब मांगा है। गठित आरोप पत्र में साफ किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान विद्यालयों की मरम्मत, किचन शेड, चहारदीवारी निर्माण, बिजली वायरिंग और शौचालय मरम्मत कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं।
कई योजनाओं में कार्यादेश की राशि से दोगुना-तीगुना भुगतान का प्रस्ताव प्रस्तुत कर वित्तीय अनियमितता की गई। अर्द्धनिर्मित चहारदीवारी को पूर्ण दिखाकर भुगतान कराने और पुरानी चहारदीवारी को नया बताकर राशि निकासी का भी प्रयास हुआ।
यौन शोषण और वाहन चोरी के मामलों में भी आरोपित, फरार चल रहा लिपिक
लिपिक मु. कमाल अशरफ शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) शाखा में पदस्थापित था। असैनिक कार्यों में घोटाले की परत खुलने के बाद उसे मूल विद्यालय पब्लिक हाई स्कूल, सूर्यगढ़ा भेजा गया, लेकिन इससे पहले ही वह कई गंभीर मामलों में आरोपित बनकर फरार हो गया।
कमाल अशरफ पर यौन शोषण, धर्मांतरण कराने, नमाज पढ़ने और गोमांस खाने के लिए लड़की को प्रताड़ित करने के आरोप हैं। साथ ही, स्कॉर्पियो चोरी के दो अलग-अलग मामलों में भी वह आरोपित है।
185 योजनाओं में कार्य अपूर्ण, फिर भी फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर भुगतान
आरोप पत्र के अनुसार, लिपिक ने 185 योजनाओं में कार्य अपूर्ण रहने के बावजूद कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर संवेदकों को भुगतान कराने का प्रयास किया। कई प्रधानाध्यापकों ने प्रतिवेदन देकर कहा कि प्रमाण पत्रों पर उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं।
आरोप है कि उसने अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया और सक्षम प्राधिकार को भ्रामक अभिलेख प्रस्तुत कर योजनाओं की राशि की गलत निकासी कर संवेदकों को परोक्ष रूप से लाभ पहुंचाया। अब विभागीय और कानूनी दोनों स्तरों पर कार्रवाई तेज हो गई है।
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