विनम्रता व सहनशीलता मानव जीवन का श्रेष्ठ आभूषण : प्रभंजनानंद
श्री रामचरित मानस प्रचार समिति लखीसराय द्वारा शहर के केआरके हाई स्कूल मैदान में आयोजित संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन रविवार को भी श्री राम जय राम के भजनों से माहौल भक्तिमय बना रहा। कथा सुनने के लिए काफी संख्या में महिलाएं पहुंची थी।

संवाद सहयोगी, लखीसराय। श्री रामचरित मानस प्रचार समिति लखीसराय द्वारा शहर के केआरके हाई स्कूल मैदान में आयोजित संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन रविवार को भी श्री राम जय राम के भजनों से माहौल भक्तिमय बना रहा। कथा सुनने के लिए काफी संख्या में महिलाएं पहुंची थी। इससे पहले कथा स्थल पर स्थापित भगवान हनुमान की पूजा की गई और सामूहिक सुंदरकांड का पाठ किया गया। कथावाचक अयोध्या से पधारे स्वामी श्री प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने कहा कि भक्ति हमारे जीवन में वैभव, ऐश्वर्य और संपत्ति तो नहीं देती पर आंतरिक शांति, प्रसन्नता और प्रभु को मिलाती है। जबकि माया में हमे सांसारिक वैभव, ऐश्वर्य और संपत्ति तो प्राप्त होती है। लेकिन जीवन अशांत तथा हृदय में सदैव में उथल-पुथल मची रहती है। अत: व्यक्ति को माया का परित्याग कर भक्ति का आचरण करना चाहिए। जो चिर और सनातन है। उन्होंने कहा कि विनम्रता और सहनशीलता मानव जीवन का श्रेष्ठ आभूषण है। महान वह नहीं है जिसके जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा हो, बल्कि महान वह है जिसके जीवन में सहनशीलता हो। हमारा सुख इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हमारे पास कितनी संपत्ति है, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे जीवन में कितनी मात्रा में संपति है। स्वामी जी ने कहा कि समर्थ का अर्थ यह नहीं है कि आप दूसरों को कितना झुका सकते हैं। अपितु यह है कि आप स्वयं कितना झुक सकते हो। अभिमानी और अहंकारी व्यक्ति समाज में सदैव अपमानित होता है और टूटता है। विनम्रता जीवन का सबसे बड़ा आभूषण है। विनम्र व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। स्वामी जी ने धनुष यज्ञ प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि रामजी ने धनुष तोड़ा पर उसकी डोरी नहीं टूटी इसका अर्थ यह है कि धनुष जो कठोर था वह तो टूट गया, लेकिन डोरी विनम्र थी वह नहीं टुटी। विनम्र व्यक्ति को इंसान क्या भगवान भी नहीं तोड़ता है। जो संपत्ति प्रभु का विस्मरण करा दे वह संपन्नता दुखदाई है। जो बाहर से तो तृप्त करती है, लेकिन भीतर अशांति और खालीपन छोड़ जाती है। उन्होंने कथा के माध्यम से लोगों को अच्छे मार्ग पर चलने और प्रभु का ध्यान करने के लिए भी प्रेरित किया। इससे पहले अनुष्ठान के यजमान अविनाश कुमार और उनकी पत्नी, आयोजन समिति के संरक्षक डा. श्यामसुंदर प्रसाद सिंह, डा. प्रवीण कुमार सिन्हा, सीताराम सिंह, रामसेवक चौधरी, डा. राजकिशोरी सिंह एवं रंजन कुमार ने व्यासपीठ की विधि विधान के साथ पूजा और आरती की एवं स्वामी प्रभंजनानंद शरण जी महाराज को माला पहनाया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।