लखीसराय के टोलासेवक प्रफुल्ल मांझी बने सिकंदरा के विधायक
लखीसराय। कर्म के साथ-साथ अगर तकदीर का भी साथ मिल जाए तो किसी भी व्यक्ति का सितारा बुलंद हो स
लखीसराय। कर्म के साथ-साथ अगर तकदीर का भी साथ मिल जाए तो किसी भी व्यक्ति का सितारा बुलंद हो सकता था। गरीबी में जीने वाले लखीसराय संतर मुहल्ला निवासी टोला सेवक प्रफुल्ल मांझी ने सिकंदरा विधानसभा से चुनाव जीतकर इस बात को अक्षरश: साबित कर दिया है। संतर मुहल्ला निवासी सिघेश्वर मांझी एवं कौशल्या देवी मेहनत-मजदूरी अपने चार पुत्र एवं एक पुत्री का बड़ी मुश्किल से भरण-पोषण कर पाते थे। पांच वर्ष की उम्र में ही सबसे छोटे पुत्र प्रफुल्ल मांझी कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए। अर्थाभाव के कारण उनका समुचित इलाज नहीं हो सका। जबकि होश संभालने के बाद ही उनके बड़े भाई राकेश मांझी झाझा रेलवे स्टेशन पर मजदूरी, सुरेन्द्र मांझी कोल फील्ड धनबाद में नौकरी एवं पैर से दिव्यांग रवीन्द्र मांझी नियोजित शिक्षक बने। जबकि प्रफुल्ल मांझी मजदूरी कर अपनी पढ़ाई जारी रखा। स्थानीय केएसएस कॉलेज से वे स्नातक उत्तीर्ण होकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए। दो बार वे बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण हुए। काफी प्रयास के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर जीविकोपार्जन करने के लिए वे वर्ष 2008 में टोला सेवक बन गए। इसी दौरान वे वामपंथी दल से जुड़कर महादलित समाज के उत्थान के लिए कार्य करने लगे। वर्ष 2010 में उनकी शादी जमुई जिला के महादेव सिमरिया के एटा सागर गांव की फुलवंती देवी के साथ हुई। फुलवंती देवी लखीसराय नगर परिषद अंतर्गत विकास मित्र के पद पर कार्यरत हैं। मांझी नगर परिषद लखीसराय से वार्ड पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके हैं परंतु उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2015 में जीतनराम मांझी के संपर्क में आकर वे हम पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्हें हम पार्टी का लखीसराय का जिलाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद वर्ष 2017 में उन्होंने टोला सेवक की नौकरी छोड़कर पूर्ण रूपेण मुसहर समाज के उत्थान के लिए कार्य करने लगे। अभाव में रहकर भी वे अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति काफी सजग रहे। उनका दोनों पुत्र केंद्रीय विद्यालय लखीसराय में पढ़ रहा है। बड़ा पुत्र विनोद कुमार छठा में एवं छोटा पुत्र तेजस वर्द्धन चतुर्थ कक्षा में है। जबकि पुत्री नैना कुमारी आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ रही है। प्रफुल्ल मांझी की पत्नी फुलवंती देवी ने बताया कि साहब (जीतन राम मांझी) काफी मानते हैं। साहब ने बुलाकर मेरे पति को सिकंदरा से चुनाव लड़ने कहा। वे एक माह से सिकंदरा में रहकर चुनाव प्रचार में लगे रहे। इस दौरान मात्र एक बार घर आए। भगवान की कृपा से वे विधायक बन गए हैं। अब उनका सारा कष्ट दूर हो जाएगा। उधर निर्वाचन के बाद प्रफुल्ल मांझी अपने घर आए जहां पत्नी ने उनकी आरती उतारी।
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