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    'मेजर', 'ब्लैक गोल्ड'...NH पर माफिया राज, सीक्रेट कोड बताने पर ही वाहनों को मिलती है एंट्री

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 01:41 PM (IST)

    किशनगंज जिले में राष्ट्रीय राजमार्गों पर बिना शुल्क दिए चलना मुश्किल है। ट्रक और बड़े वाहनों को एंट्री माफिया के कोड का पालन करना होता है, अन्यथा मारप ...और पढ़ें

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    एनएच पर चलता है माफिया राज। (जागरण)

    संवाद सहयोगी, किशनगंज। किशनगंज जिले से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिना प्रवेश शुल्क के चलना मुश्किल है। यहां चलने वाली ट्रक व बड़े वाहनों को एंट्री माफिया के कोड का पालन करना पड़ता है। नहीं करने पर उनके साथ मारपीट व लूटपाट भी की जाती है।

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    किशनगंज जिले से दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरती है। पहला पूर्णिया-सिलीगुड़ी एनएच 27 और दूसरी अररिया-सिलीगुड़ी भाया कोचाधामन-बहादुरगंज-ठाकुरगंज-गलगलिया एनएच 327 ई।

    दरअसल, इन दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन लेकर गुजरने वाले चालकों को चढ़ावा माफियाओं के हाथ में चढ़ाना पड़ता है। वाहनों में लोड सामानों के अनुसार माफियाओं का रेट तय है। तय रेट से कम रुपए देने पर जिले के दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन को चलने की अनुमति नहीं दी जाती है।

    किसी तरह चोरी छिपे वाहन ले जाने पर माफियाओं के द्वारा गाड़ी को रोककर चालक के साथ मारपीट तक की जाती है। कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।

    जानकारी के अनुसार किशनगंज के राष्ट्रीय राजमार्ग पर माफिया राज चलाने वाले माफियाओं के द्वारा अपने सिंडिकेट का कोड है। चालक से चढ़ावा लेने के बाद कोड का पासवर्ड चालकों को बताया जाता है। जिसके बाद किशनगंज के राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने की अनुमति दी जाती है।

    तुरंत छोड़ दी जाती है गाड़ी

    कभी-कभी राष्ट्रीय राजमार्ग पर अचानक जांच या किसी के रोकने पर चालक के द्वारा पासवर्ड के तौर पर माफियाओं का कोड बताया जाता है। जिसके बाद पुलिस हो या सिंडिकेट का कोई माफिया हो तुरंत गाड़ी को छोड़ देते हैं।

    जिसके बाद वाहन बंगाल में प्रवेश कर जाता है, लेकिन चढ़ावा नहीं देने पर और कोड का सही पासवर्ड नहीं बताने पर या तो कार्रवाई की जाती है।

    सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर माफियाओं का पासवर्ड कोड मेजर, ब्लैक गोल्ड व सफा के नाम से किसी दिन तो किसी दिन अन्य नामों पर चलता है। हर दिन इसका पासवर्ड भी बदल जाता है। ओवरलोडिंग के लिए मेजर पासवर्ड तो वहीं मवेशी के वाहनों के लिए ब्लैक गोल्ड जबकि कोयला की गाड़ियों के लिए सफा पासवर्ड कोड है।

    जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग में कोयला, मवेशी, बालू पत्थर के साथ-साथ राख की गाड़ियों की जिले में माफियाओं के द्वारा इंट्री की जाती है। हर रोज सैकड़ो की तादाद में गाड़ियां माफियाओं के एंट्री के माध्यम से पास होती है और हर एक गाड़ियों की रेट अलग-अलग है।

    सिक्कम, भूटान जाती है राख की गाड़ियां

    राख की गाड़ी किशनगंज के रास्ते भूटान, बंगाल, सिक्किम के सीमेंट फैक्ट्री में जाती है। इस राख को विभिन्न पावर प्लांट से गाड़ियों में किशनगंज के रास्ते ले जाया जाता है। लेकिन इन गाड़ियों का किशनगंज को पार करने के लिए माफिया को चढ़ावा देना पड़ता है।

    सूत्र बताते हैं एंट्री के काम करने वाले सफेदपोश माफिया किसी न किसी राजनीतिक रसूखदार से जुड़े रहते हैं। हाकिम, बाबुओं से इनकी ताल्लुकात मजबूत होती है और इसी का फायदा उठाया जाता है। कभी कभार कार्रवाई अगर होती भी है तो रसूखदार शिकंजे में नहीं आ पाते हैं।