114वीं जयंती पर शहीद शिवराम हरि राजगुरु को दी गई श्रद्धांजली
महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद शिवराम हरि राजगुरु की 114वीं जयंती पर बुधवार को कला एवं संस्कृति मंच ठाकुरगंज ने श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें स्मरण किया।

114वीं जयंती पर शहीद शिवराम हरि राजगुरु को दी गई श्रद्धांजली
संसू, ठाकुरगंज (किशनगंज) : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद शिवराम हरि राजगुरु की 114वीं जयंती पर बुधवार को कला एवं संस्कृति मंच, ठाकुरगंज ने श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें स्मरण किया। इस क्रम में ठाकुरगंज क्लब ग्राउंड में स्थापित स्वतंत्रता सेनानी शहीद शिवराम हरि राजगुरु की प्रतिमा पर स्थानीय वयोवृद्ध लक्ष्मीकांत चौधरी, छात्र जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रशांत पटेल, अभाविप के छात्र नेता विवेक साहा, सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति राय, भाजपा क्रीड़ा मंच के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य संजय कुमार सिन्हा, ठाकुरगंज क्लब के संयुक्त सचिव अयन चौधरी व कप्तान विशाल राय आदि ने बारी बारी से माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक व क्रांतिकारी शिवराम हरि राजगुरु की जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। इसके उपरांत वयोवृद्ध लक्ष्मीकांत चौधरी के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हुए राष्ट्रीय गान जन-गण-मन गान गाए गए।
इस अवसर पर छात्र जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रशांत पटेल ने कहा कि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 खेरा, पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ। वे अपने जीवन के शुरुआती दिनों में क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने दोस्त भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक पद पर नियुक्त अंग्रेज अफसर जेपी सांडर्स को गोली मारी थी और पुणे में गवर्नर को मारने की कोशिश के बाद गिरफ्तार हो गए थे। इसके बाद अदालत में स्वीकारा था कि उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सांडर्स को मारा था। 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल में शाम 7 बजे अपने दोस्त भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसी पर लटका दिए गए। इस महान क्रांतिकारी से आज के युवकों को देशभक्ति का सबक लेना चाहिए, जिससे देश में आतंकवाद व भ्रष्टाचार न फैल सके।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति राय ने कहा कि राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव के सामाजिक मूल्यों के साथ ही देश में उत्पीड़न से व्यथित थे। अंग्रेजों के दमन के जाल से भारतीय जनमानस को निकालने के लिए 23 मार्च 1931 को इन तीनों वीर क्रांतिकारियों ने फांसी को गले लगा लिया। विवेक साहा ने कहा कि राजगुरु छात्र जीवन से क्रांतिकारी थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत माता के नाम न्योछावर कर दिया। राजगुरु को उनकी वीरता, देशप्रेम और देश की आजादी के लिए शहीद होने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। इस मौके पर आकाश कुमार, सुरेश राय, मु. मोहसीन रजा, आर के मेमोरियल पब्लिक स्कूल के शिक्षक भगत सिन्हा व शिक्षिका सुधा भारती सहित स्कूल के बच्चों ने हिस्सा लिया।
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