Teachers Day Special: रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा में सक्रिय राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक, लगा चुके हैं 27 हजार पौधे
किशनगंज के सेवानिवृत्त शिक्षक श्यामानंद झा राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता अब भी समाज सेवा में सक्रिय हैं। वे रक्तदान शिक्षा और पौधारोपण को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने 900 से अधिक बच्चों को पाठ्यपुस्तकें मुफ्त में दी हैं और 3000 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान की है। उनका लक्ष्य है कि वे सभी वर्ग के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ें और समाज को बेहतर बनाने में योगदान दें।

संजय मिश्रा, किशनगंज। नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद अक्सर लोग सामाजिक दायित्व को छोड़कर पारिवारिक दायित्व निभाने लगते हैं। लेकिन मोतीबाग निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक श्यामानंद झा अब भी सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक श्यामानंद झा जिले में रक्तदान और शिक्षा का अलख जगाने के साथ लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करते रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने एवं राष्ट्रीय सेवा कार्य को लेकर किए कार्यों को लेकर उन्हें 2003 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला था।
शिक्षक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाज में शिक्षा का अलख जगाने का उनके द्वारा हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के साथ-साथ जरूरतमंद बच्चों को पाठ्य पुस्तकें भी मुफ्त में उपलब्ध करा रहे हैं।
अब तक निजी कोष से नौ सौ से अधिक बच्चों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करा चुके हैं। जबकि करीब तीन हजार से अधिक बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनका संकल्प है कि वे जीवन के अंतिम क्षण तक सभी वर्ग के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश करूंगा।
उन्होंने बताया कि किसी कारण से स्कूल छोड़ चुके बच्चों के माता-पिता को भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करता हूं। 69 वर्षीय श्यामानंद झा ने बताया कि इस संसार में शिक्षक एक युग निर्माता और विद्यार्थी राष्ट्र के भाग्य विधाता हैं। इसी भावना को लेकर सेवानिवृत होने के बाद भी इस कार्य में लगा हूं। गरीब व मेधावी विद्यार्थियों को को मुफ्त शिक्षा देने का प्रयास जारी रखूंगा।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय कालानागीन कोचाधामन से सेवानिवृत्त हुए शिक्षक श्यामानंद झा कहते हैं सरकारी सेवा से निवृत्त हुआ हूं। लेकिन सामाजिक दायित्व अब भी उनपर है। सुबह जल्दी जगकर दिनचर्या शुरू कर देर शाम तक जारी रहता है।
2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने ग्यारह हजार पौधे लगा चुके हैं। अपने सेवाकाल में भी अब तक 27 हजार पौधे लगाए हैं। वहीं नशा मुक्ति और दहेज प्रथा उन्मूलन जैसे कार्यक्रम अखिल विश्व गायत्री परिवार के माध्यम से निरंतर चलाता रहता हूं। बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास जारी है। माता-पिता को अपनी बेटी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए भी प्रेरित करता हूं।
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