किशनगंज में हर महीने 150 नए टीबी मरीजों की हो रही पहचान, डीएम बोले- समय पर कराएं जांच
किशनगंज जिला 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। जिले में स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार अभियान चलाया जा रहा है जिसमें महिलाओं और बच्चियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। टीबी की जांच एचपीवी टीकाकरण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने समय पर जांच और इलाज कराने की अपील की है।

संवाद सहयोगी, किशनगंज। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य तय किया है। इसी दिशा में किशनगंज जिला भी लगातार प्रयासरत है। जिले में प्रतिमाह 150 नए टीबी मरीजों की पहचान हो रही है।
स्वास्थ्य विभाग अब इस अभियान को स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार से जोड़कर और अधिक सशक्त बना रहा है। महिलाओं व बच्चियों पर केंद्रित इस कार्यक्रम में अब टीबी जांच, एचपीवी वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य जागरूकता को विशेष महत्व दिया जा रहा है।
जिलाधिकारी विशाल राज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि टीबी से डरने की नहीं, बल्कि समय पर जांच और इलाज करने की जरूरत है। स्वस्थ नारी ही सशक्त परिवार और सशक्त समाज की नींव है।
इस अभियान में हर परिवार, हर गांव और हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। अगर हम सब मिलकर प्रयास करें तो वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का सपना जरूर पूरा होगा।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है। इसके लिए जरूरी है कि मरीज की पहचान समय पर हो और दवा पूरी अवधि तक ली जाए। कई बार मरीज दवा बीच में छोड़ देते हैं। जिससे रोग और खतरनाक हो जाता है।
इस अभियान के माध्यम से महिलाओं और बच्चियों की बड़ी संख्या में जांच कराकर हम टीबी उन्मूलन की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं। अभियान के दौरान स्कूली बच्चियों को एचपीवी वैक्सीन दी जा रही है। ताकि भविष्य में सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव हो सके।
साथ ही उन्हें स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वास्थ्य के महत्व के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि बच्चियों को समय पर टीका और स्वास्थ्य शिक्षा देना उनके जीवनभर के स्वास्थ्य निवेश जैसा है।
सीडीओ डॉ. मंजर आलम और नंद किशोर राजा ने पीएचसी बेलवा, एचडब्ल्यूसी मोतिहारा और एचडब्ल्यूसी हालामला का निरीक्षण किया और टीबी रेफरिंग और स्क्रीनिंग को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग महीनों तक खांसी को सामान्य मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं। यही लापरवाही टीबी को फैलाती है।
सभी स्वास्थ्यकर्मी यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक संदिग्ध मरीज की जांच समय पर हो और जरूरत पड़ने पर उन्हें रेफर किया जाए। स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार अभियान में अब महिलाओं के साथ-साथ स्कूली बच्चियों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग भी की जा रही है।
महिलाओं और बच्चियों की नियमित जांच, टीबी स्क्रीनिंग और एचपीवी वैक्सीनेशन से हम न सिर्फ टीबी बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों की रोकथाम की दिशा में भी मजबूत कदम उठा रहे हैं।
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