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    किशनगंज : प्रसव ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक ने महिला के पेट में ही छोड़ दिया एक बंडल कपड़ा, शिकायत की तो यह कहा...

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 12:08 PM (IST)

    किशनगंज के ठाकुरगंज में न्यू फोर्टीज अस्पताल में प्रसव के दौरान महिला के पेट में कपड़ा छोड़ने के मामले को डीएम ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने तीन सदस ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, किशनगंज। ठाकुरगंज में संचालित न्यू फोर्टीज अस्पताल (निजी नर्सिंग होम) द्वारा एक महिला के शल्य क्रिया के दौरान काटन छोड़ देने के मामले को डीएम विशाल राज ने गंभीरता से लिया है। मामले में डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। जांच टीम इस मामले की जांच कर प्रतिवेदन डीएम को समर्पित करेंगे। जिस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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    जिला पदाधिकारी ने बताया कि शिकायम के आधार पर जांच टीम का गठन कर दिया गया। जांच टीम में सीएस, डीआइओ व एक प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। टीम जल्द ही रिपोर्ट सौंपेगी। उल्लेखनीय है कि उक्त नर्सिंग होम की इससे पहले भी शिकायत सामने आ चुकी है।

    क्या है मामला

    ठाकुरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत निश्चितपुर निवासी मो. शमीम ने पावरहाउस स्थित न्यू फोर्टीज अस्पताल पर इलाज में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए गत दिनों थाने में लिखित शिकायत की है। जिसमें कहा था कि अगस्त माह में उन्होंने गर्भवती पत्नी को प्रसव के लिए न्यू फोर्टीज अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां आपरेशन कर प्रसव कराया गया। कुछ दिनों के इलाज के बाद पत्नी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वे उसे लेकर घर चले आए। कुछ दिनों बाद उनकी पत्नी के पेट में तेज दर्द की शिकायत होने लगी, जिसपर वे पुनः न्यू फोर्टीज अस्पताल पहुंचे। जहां इलाज किया गया और कुछ सप्ताह बाद फिर छुट्टी दे दी। अक्टूबर माह में पत्नी की तबीयत दोबारा बिगड़ने पर जब वे अस्पताल गए तो किशनगंज के एक निजी क्लीनिक में इलाज कराने की सलाह देते हुए उन्हें वहां भेज दिया।

     

    तीन सदस्यीय जांच समिति डीएम को सौंपेगी रिपोर्ट

    किशनगंज में निजी क्लीनिक में भर्ती कराने के बाद जब एमआरआई जांच कराई गई, तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि न्यू फोर्टीज अस्पताल में सीजर आपरेशन के दौरान चिकित्सकों एवं कर्मियों की लापरवाही से पत्नी के पेट में काटन (कपड़े) का एक बंडल छोड़ दिया गया था। इसी कारण पेट में रिसाव, संक्रमण और लगातार दर्द की समस्या बनी हुई थी। मो. शमीम ने बताया कि नवंबर माह तक लगातार इलाज चलने के बाद वे अपनी पत्नी को घर ला सके। इस पूरे इलाज में उन्हें लाखों रुपये खर्च करने पड़े, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह डगमगा गई। जब संचालक से इसकी शिकायत की गई तो उनके रिश्तेदार के खाते में 16 हजार रुपये भेज दिए गए।ठाकुरगंज थानाध्यक्ष मो मकसूद आलम अशरफी ने निजी अस्पताल की जांच के लिए मेडिकल टीम गठित कराने हेतु जिलाधिकारी को पत्र भेजा था। जिस आलोक में कार्रवाई शुरू हुई है।