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    सजने लगी कमली शाह दरगाह परिसर में दुकानें

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    Updated: Sun, 12 Apr 2015 09:42 PM (IST)

    संवाद सूत्र, कन्हैयाबाड़ी (किशनगंज) : कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सदर प्रखंड के चकला पंचायत अं ...और पढ़ें

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    संवाद सूत्र, कन्हैयाबाड़ी (किशनगंज) : कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सदर प्रखंड के चकला पंचायत अंतर्गत कदम रसूल स्थित दाता कमली शाह रहमतुल्लाह अलैह का दरगाह परिसर में हजारों की भीड़ मंगलवार से उमड़ेंगी। इसे लेकर दरगाह परिसर में दुकानें सजने लगी हैं। यह सिलसिल कई सौ दशकों से चला रहा है। लोगों के लिए जियारत गाह उक्त स्थल तब से बन हुआ है। इस दरगाह से सभी समुदाय के लोगों में अकिदत है। साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल इस दरगाह में हर वर्ष उर्स के मौके पर पश्चिम बंगाल, पड़ोसी देश नेपाल, बिहार के विभिन्न जिले सहित किशनगंज जिले के कोने कोने से अकिदतमंद पहुंच कर दाता कमली शाह के आस्ताने में अपनी हाजरी लगा कर चादरपोशी व फातेहाखानी कर अमन सलामती के लिए दुआ मांगते है।

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    क्या है इतिहास : हजरत दाता कमलीशाह रहमतुल्लाह अलैह कश्मीरी थे। खगड़ा के नबाव अता हुसैन मिर्जा के पीरो-मुर्शीदे थे। नवाब अता हुसैन के जमाने से ही यहां उर्स का आयोजन होता आ रहा है। इसके अलावा उक्त दरगाह पर लोग कब से चादरपोशी कर रहे हैं, इसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है लेकिन जन-जन में न जाने कितने शताब्दियों से उक्त स्थल पर जियारत होती चली रही है। उक्त जज्बात को किसी शायर ने यह भाव दिया है, निगाहे वली में वह ताशिर देखी, बदलते हजारों की तकदीर देखी। शायद इसीलिए बड़ी संख्या में यहां लोग पहुंच कर अपनी बिगड़ी बनाते हैं। साम्प्रदायिक सौहार्द की छटा यहां देखने को मिलती है। यहीं वजह है कि दाता कमली शाह के आस्ताने से निकल रही खुशबू से किशनगंज जिले में गंगा- जमुनी तहजीब महक रही है। दरगाह कदम रसूल से सभी धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

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    14-16 से अप्रैल तक मजार परिसर में उमड़ेगा जन सैलाब

    हर वर्ष बंगला के पहले बैशाखे से तीन दिवसीय उर्स का आयोजन अपने आप होते आ रहा है। इस वर्ष इसका आगाज अग्रेजी तिथि के अनुसार 14 अपै्रल से 16 अप्रैल तक होगा। उर्स कमेटी ने उर्स को लेकर तैयारी शुरु कर दिया है। अकीकत मंदों का आना भी शुरु हो गया है।

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    उर्स के दौरान शाह का आमान शरीफ, कंबल, तकिया, लाठी, चौगा, पहरान, पैजामा व जायनमाज अकीदतमंदों के दर्शनार्थ निकाला जाता हैं। मजार पर अकीदत मदों के उमड़ने का यह भी सबसे बड़ा ऐतिहासिक तथ्य है।

    मोहम्मद इदरीश, अध्यक्ष, उर्स कमेटी, कदम रसूल, सुल्तानगंज