सदर अस्पताल इलाज को आए हैं, तो रेफर के बाद एंबुलेंस केलिए न करें इंतजार
जिले में एंबुलेंस की घोर कमी का खामियाजा इन दिनों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। पहले सदर अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में 17 एंबुलेंस थे।

जागरण संवाददाता, खगड़िया : जिले में एंबुलेंस की घोर कमी का खामियाजा इन दिनों मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। पहले सदर अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में 17 एंबुलेंस थे। अभी मात्र आठ एंबुलेंस ही मरीजों के लिए उपलब्ध है। इन आठ में भी कुछ एंबुलेंस की स्थिति ठीक नहीं है। मरीजों को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस रास्ते में भी खराब हो जाती है।
मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस या वाहन पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। अस्पतालों में एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने और जर्जर एंबुलेंस को ठीक कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं है।
बता दें कि पीडीपीएल एंड सम्मान फाउंडेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस का परिचालन हो रहा है। इस कंपनी का एग्रीमेंट बीते मार्च को ही खत्म हो चुका है। बीते तीन महीने से कंपनी एक्सटेंशन लेकर जिले में एंबुलेंस चला रही है। उसकी अवधि भी बीते 21 जून को खत्म हो गई। अस्पताल सूत्रों की माने तो पांच एंबुलेंस जर्जर अवस्था में होने के कारण रदीकरण में चली गई है। जिसे अब तक ठीक नहीं कराया गया। कुछ एंबुलेंस छह महीने, साल भर से खराब हैं। सदर अस्पताल दो एंबुलेंस के सहारे
सदर अस्पताल मात्र दो एंबुलेंस के सहारे हैं। जबकि सदर अस्पताल पर जिले की लगभग 17 लाख की आबादी निर्भर है। अब सदर अस्पताल में जब यह हाल है, तो प्रखंड अस्पतालों को लेकर सहज अंदाजा लगा सकते हैं। जबकि सदर अस्पताल में 10 एंबुलेंस की जरूरत है। बता दें कि सदर अस्पताल में पहले पांच एंबुलेंस थे। जिले के अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों में भी एंबुलेंस का अभाव है। इक्के-दुक्के प्राइवेट अस्पतालों के पास यह सुविधा है। सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की कमी को लेकर आए दिन मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों में नोक-झोक होना आम हो गया है। दरअसल एंबुलेंस की कमी का एक प्रमुख कारण संबंधित एजेंसी भी है। एजेंसी एग्रीमेंट की आस में एंबुलेंस को ठीक नहीं करा रही है। एक एंबुलेंस कर्मी ने बताया कि बीते तीन महीने से संबंधित एजेंसी द्वारा उन्हें वेतन भी नहीं दिया गया है। कहां है कितनी एंबुलेंस अस्पताल पहले अब
सदर अस्पताल पांच दो
गोगरी अस्पताल दो एक
परबत्ता दो एक
चौथम दो एक
बेलदौर दो एक
मानसी दो एक
अलौली दो एक मरीज को एंबुलेंस नहीं मिलने की स्थिति में अस्पताल कर्मियों पर गाज गिरती है। वरीय अधिकारी भी उनसे ही सवाल करते हैं। जबकि यहां कमी एजेंसियों में है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन दोनों मिलकर एंबुलेंस की कमी को दूर कर सकती है। मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना के तहत पंचायतों में जिन लोगों ने वाहन या एंबुलेंस खरीदे हैं, उनसे संपर्क करके कमी को दूर किया जा सकता है। उनके साथ बैठक कर प्रति किलोमीटर की दर से भाड़ा का निर्धारण कर मरीजों को सुविधा दी जा सकती है।
शशिकांत, प्रबंधक, सदर अस्पताल।

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