अब कोसी-बागमती की उजली रेत पर दबंगों की नजर
जागरण संवाददाता खगड़िया बालू का अवैध खनन प्राय गंगा के किनारे होता है। सरकार की ओर
जागरण संवाददाता, खगड़िया: बालू का अवैध खनन प्राय: गंगा के किनारे होता है। सरकार की ओर से गंगा किनारे खनन को लेकर बढ़ाई गई सख्ती बाद अब दबंगों की नजर कोसी-काली कोसी और बागमती की उजली रेत पर पड़ गई है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में जेसीबी से अवैध खनन कर ट्रैक्टर से रेत ढोई जा रही है। अवैध खनन के ये हैं प्रमुख केंद्र
खगड़िया जिले के बीपी मंडल सेतु से आधा किलोमीटर दूर पनसलवा के पास कोसी नदी का किनारा, तेलिहार का आनंदी सिंह बासा खनन का मुख्य केंद्र है। सुदूर कंजरी के पास काली कोसी किनारे भी अवैध खनन जारी है। इसके साथ ही खगड़िया-सहरसा की सीमा पर एनएच 107 के किनारे माली के पास काली कोसी नदी का किनारा भी खनन का बड़ा केंद्र बन गया है। बागमती में चौथम प्रखंड के हरदिया, मालपा, चौथम, नवादा, बौरने स्थान घाट, सोनवर्षा घाट पर भी अवैध खनन का मामला सामने आता रहा है। रेत निकालने से नदियां बरपा सकती है कहर
मुख्य बात यह है कि अवैध खनन से जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं कोसी-काली कोसी और बागमती नदी की धारा मुड़ने की आशंका प्रबल हो उठी है। पनसलवा से चोढ़ली जमींदारी बांध की दूरी आधा किलोमीटर के आसपास है। आनंदी सिंह बासा से तेलिहार जमींदारी बांध पांच सौ फीट पर है। ऐसे में दोनों जगहों पर बांध के ऊपर खतरे के बादल मंडरा सकते हैं।
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बांध-तटबंध से 50 मीटर की दूरी में किसी भी प्रकार के खनन पर रोक है। अगर नदी के बीच में खनन होगा, तो वहां लो एरिया बन जाएगा। बरसात के मौसम में जब जलस्तर बढ़ेगा, तो नदी की धारा मुड़ सकती है। जो जगह सेफ है वह भी अनसेफ हो जाएगा।
सत्यजीत, अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण अंचल, खगड़िया।
कोट
अवैध खनन पर रोक को लेकर जिलास्तर पर टास्क फोर्स गठित है। सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है। ट्रैक्टर, जेसीवी जब्त किया जाता है। एफआइआर दर्ज होता है।
उपेंद्र पासवान, प्रभारी जिला खनन पदाधिकारी, खगड़िया।