2.5 घंटे चला ऑपरेशन, तब जाकर काबू में आया रसेल वाइपर; खगड़िया में लोगों ने ली राहत की सांस
खगड़िया में एक रसेल वाइपर को पकड़ने के लिए ढाई घंटे का ऑपरेशन चलाया गया। सांप को सुरक्षित पकड़ने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। यह घटना खगड़िया शहर ...और पढ़ें

संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया)। भारत के चार सबसे घातक सांपों में से एक रसेल वाइपर का जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत नयागांव-शिरोमणि टोला से सफल रेस्क्यू किया गया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।
जानकारी के अनुसार, जोरावरपुर पंचायत के नयागांव-शिरोमणि टोला में बीते कई दिनों से एक रसेल वाइपर देखा जा रहा था। इससे स्थानीय लोग डरे-सहमे थे। खासकर रात के समय घर से बाहर निकलने में परहेज कर रहे थे।
ग्रामीणों के अनुसार, यह अक्सर रिहायशी इलाके के आसपास दिखाई दे रहा था। स्थानीय रितेश कुमार और टुनटुन सनगही ने इसकी सूचना डायल-112 पुलिस को दी। सूचना मिलते ही डायल-112 की टीम पहुंची। टीम ने पूरी सतर्कता के साथ रेस्क्यू अभियान चलाया।
करीब चार फीट लंबे रसेल वाइपर को पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा गया। इस दौरान पुलिस टीम ने आसपास मौजूद ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी पर रखा, ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे।
डायल-112 के निर्मल कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की ओर से सूचना मिलते ही टीम तत्काल घटनास्थल पर पहुंची। और सांप का सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू के बाद जंगली क्षेत्र में छोड़ दिया गया। अब ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। ढाई घंटे तक यह रेस्क्यू ऑपरेशन चला।
इधर, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, खगड़िया, राजकुमार ने बताया कि पुलिस टीम की ओर से एक रसेल वाइपर का सुरक्षित रेस्क्यू करने की जानकारी मिली है।यह काफी खतरनाक सांपों में एक है। प्राय: रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाके में पाया जाता है। परंतु अब खगड़िया जिले में भी काफी संख्या में दिख रहे हैं। वन विभाग की ओर से भी कई रसेल वाइपर के सुरक्षित रेस्क्यू किए जा चुके हैं।
जाने रसेल वाइपर के बारे में
- रसेल वाइपर को चेन वाइपर, दाबोइया और घातक फुुरसा भी कहा जाता है।
- यह भारत के चार सबसे खतरनाक सांपों में एक है।
- काटने पर तुरंत इलाज नहीं मिले, तो जान को खतरा हो सकता है।
- रात के समय ज्यादा सक्रिय रहता है।

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