याद करो बलिदान : जब बलिदनी प्रभु नारायण को गोली लगी, तो भरत पोद्दार बगल में खड़े थे
स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भरत पोद्दार की उम्र 103 वर्ष हो चुकी है। लेकिन याददाश्त का जोर नहीं है। 13 अगस्त 1942 का वर्णन वे इस तरह करते हैं जैसे आपके सामने चलचित्र चल रहा हो।

चंदन चौहान, जागरण संवाददाता, खगड़िया : स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भरत पोद्दार की उम्र 103 वर्ष हो चुकी है। लेकिन याददाश्त का जोर नहीं है। 13 अगस्त 1942 का वर्णन वे इस तरह करते हैं, जैसे आपके सामने चलचित्र चल रहा हो। आंखों के सामने दृश्य दर दृश्य उपस्थित हो जाता है।
भरत बाबू कहते हैं- बलिदानी प्रभु नारायण को कभी भूल नहीं सकते हैं। उनके साहस को सलाम। 13 अगस्त 1942 को अंग्रेजों की लगातार चेतावनी के बाद भी प्रभु नारायण हाथों में तिरंगा लेकर थाने पर झंडा फहराने के लिए आगे बढ़ते रहे। उन्होंने शर्ट की बटन को खोलकर सीना आगे कर दिया था। अंग्रेजों ने आजादी के दीवाने प्रभु नारायण को तीन गोलियां मारी। और उन्होंने खगड़िया जिला मुख्यालय के मुंगेरिया चौक पर अपना बलिदान दे दिया। मालूम हो कि उस समय उनके बगल में सबलपुर के मदनी प्रसाद और भरत पोद्दार दोनों खड़े थे।
स्वतंत्रता सेनानी भरत पोद्दार बताते हैं कि गोली चलने के बाद भी उनके काफिले में शामिल आजादी के दीवाने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नारे लगाते रहे। उस समय उनके साथ जुलूस में बेंजामिन चौक से मोतीलाल, रांको के मुंशी लाल वर्मा आदि शामिल थे। भरत पोद्दार कहते हैं- उस समय उनका घर थाना चौक के पास ही हुआ करता था। उन्हें मालूम पड़ा कि 21 वर्ष का नौजवान बनारस से खगड़िया थाने पर तिरंगा फहराने वाला है, तो वे भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। मालूम हो बलिदानी प्रभु नारायण बनारस में रहकर पढ़ाई करते थे। वे खगड़िया जिले के माड़र के रहने वाले थे।
भरत बाबू बताते हैं कि, 1942 में प्रभु नारायण की बलिदान के बाद लोगों का गुस्सा फट पड़ा। लोगों ने ओलापुर स्टेशन को लूट लिया था। बता दें कि तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविद की ओर से भरत पोद्दार को सम्मानित करने के लिए आमंत्रण मिला था। लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण वे दिल्ली नहीं जा सके। स्वतंत्रता सेनानी भरत पोद्दार को 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। वहीं 2017 में श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल, पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष पर उन्हें सम्मानित किया था। वर्तमान में भरत पोद्दार जी खगड़िया के समीर नगर में रह रहे हैं।
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