JDU से नाराज कद्दावर सवर्ण नेता ने थाम लिया है RJD का दामन, परबत्ता में सियासी उलटफेर से बदलेंगे समीकरण
परबत्ता के जदयू विधायक के राजद में शामिल होने से खगड़िया की राजनीति में हलचल है। एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर अटकलें तेज हैं। भाजपा लोजपा-आर और जदयू के संभावित उम्मीदवार भी मैदान में हैं। उनकी नाराजगी विवादों और सवर्ण नेता की छवि के कारण यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके आने से राजद और महागठबंधन को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

उपेंद्र, परबत्ता (खगड़िया)। परबत्ता के जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार के राजद में शामिल होने की घोषणा के बाद स्थानीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राजग में परबत्ता सीट किसके हिस्से जाएगी, इस पर भी ऊहापोह है।
खगड़िया जिले में भाजपा के पास एक भी विधानसभा सीट नहीं है, ऐसे में परबत्ता सीट उसके खाते में जा सकती है। हालांकि, लोजपा-आर भी इस सीट पर दावेदारी जता रही है। जदयू के भी संभावित प्रत्याशी इस सीट से लड़ने की तैयारी में हैं।
मालूम हो कि डॉ. संजीव कुमार के राजद में जाने के कयास पहले से लगाए जा रहे थे। बीते दिनों जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के सतीश नगर गांव पूर्व मुख्यमंत्री स्मृति शेष सतीश प्रसाद सिंह की प्रतिमा के अनावरण को पहुंचे थे, तो वहां भी परबत्ता विधायक डॉ. संजीव कुमार की मौजूदगी नहीं दिखी थी।
वे लंबे समय से पार्टी से नाराज थे। बार-बार पार्टी की नीतियों पर हमला भी करते रहे। मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर भी उन्होंने हमला बोला था। मालूम हो कि खगड़िया के लोजपा(रा) सांसद राजेश वर्मा से भी उनका छत्तीस का रिश्ता रहा और बीते साल दोनों के आरोप-प्रत्यारोप इंटरनेट मीडिया पर चर्चा का विषय रहा।
विधायकों की खरीद-फरोख्त प्रकरण में आया था नाम
पार्टी नेतृत्व से असहमति और उपेक्षा की वजह से उनके राजद में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। फरवरी 2024 में बिहार विधानसभा के विश्वास मत से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त प्रकरण में डॉ. संजीव कुमार का नाम सामने आया था।
डॉ. संजीव कुमार।
आर्थिक अपराध इकाई ने उन्हें नोटिस जारी किया था। वहीं, सूत्रों की माने तो बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से उनकी नहीं बनती है और छत्तीस का रिश्ता रहा है। खगड़िया व परबत्ता की राजनीति में सम्राट चौधरी का दखल रहा है।
जानकारों के अनुसार इन कई कारणों से डॉ. संजीव कुमार ने राजद में जाने का फैसला लिया। वे बार-बार कह चुके हैं स्वाभिमान से समझौता नहीं।
सवर्ण नेताओं में बड़ा चेहरा
अब डॉ. संजीव कुमार के राजद में जाने से जिले की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। वे खगड़िया की राजनीति में घोषित सवर्ण चेहरे हैं। ब्रह्मर्षि समाज के नेता माने जाते हैं। बीते दिनों 17 अगस्त को पटना के एसके मेमोरियल हाल में उन्होंने राज्य स्तरीय ब्रह्मर्षि सम्मेलन का आयोजन भी किया था। जो सफल माना गया।
मालूम हो कि डॉ. संजीव कुमार के पिता आरएन सिंह(अब स्मृति शेष) परबत्ता से पांच बार विधायक रहे। वे नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री भी रहे। डॉ. संजीव कुमार के राजद में जाने से एनडीए के कोर वोट बैंक सवर्ण वोटरों पर संपूर्ण खगड़िया जिले में प्रभाव पड़ने की आशंका है।
बगल के भागलपुर जिले के थाना बिहपुर विधानसभा में भी उनका असर है। बेगूसराय जिले में भी आरएन सिंह परिवार का असर माना जाता हैं। उनके बड़े भाई राजीव कुमार कांग्रेस से बेगूसराय-खगड़िया से विधान पार्षद हैं। वैसे, डॉ. संजीव कुमार की पहचान परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को लेकर भी है। उन्होंने बार-बार दोहराया है कि, जात-पात से ऊपर उठकर विकास ही मूल ध्येय है।
खैर, डा. संजीव कुमार के राजद में जाने के बाद यह चर्चा है कि, यहां से भाजपा लड़ सकती है। मालूम हो कि बीते विधानसभा चुनाव में खगड़िया जिले में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। अब यह चर्चा है कि यहां से भाजपा की प्रबल दावेदारी है।
हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में आरएन सिंह ने भाजपा के रामानुज चौधरी को भारी मतों से हराया था। अंदरखाने यह भी चर्चा है कि, यहां से राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ सकते हैं या पार्टी उन्हें यहां से लड़ा सकती हैं।
सम्राट चौधरी के चुनाव लड़ने की अटकलें
लेकिन यह भी चर्चा है कि सम्राट चौधरी पटना में कहीं से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। एक बड़ा नाम जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पुत्र का भी सामने आ रहा है।
मालूम हो कि मनोज सिन्हा का ससुराल परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के डमुरिया बुजुर्ग गांव है। सूत्रों के अनुसार मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा राजनीति की ओर रूख किए हैं। भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. सुहेली मेहता का भी नाम सामने आ रहा है। डॉ. सुहेली मेहता का ससुराल परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के महद्दीपुर गांव है। वे कुशवाहा समाज से आती हैं। 2014 का परबत्ता विधानसभा उपचुनाव वे लोजपा से लड़ी थी और 2015 का विधानसभा चुनाव जाप से लड़ी थीं।
दोनों चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। परंतु सम्मानजनक मत मिले थे। यहां से भाजपा प्रदेश परिषद सदस्य सुमिता देवी राय और भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य वेद प्रकाश यादव का नाम भी सामने आ रहा है।
लोजपा (रा) की भी नजर यहां पर है। समस्तीपुर सांसद शांभवी चौधरी के पति सायन कुणाल का नाम भी उछला है। खगड़िया सांसद डा. राजेश वर्मा के प्रतिनिधि पंकज राय का नाम भी सामने आ रहा है।
जबकि जदयू से पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुनील कुमार भी मजबूत दावेदार माने जाते हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने सतीश नगर गांव पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह की प्रतिमा का अनावरण भी किया था। सुनील कुमार कुशवाहा समाज से आते हैं, जिनकी परबत्ता विधानसभा में अच्छी-खासी आबादी है।
डॉ. संजीव कुमार ने फ्लोर टेस्ट में पार्टी को धोखा दिए थे। उन्हें जदयू टिकट नहीं देती, इसलिए साख बचाने को लेकर राजद ज्वाइन किए हैं। - डॉ. सुहेली मेहता, प्रदेश प्रवक्ता भाजपा।
फ्लोर टेस्ट में डॉ. संजीव कुमार ने तो क्रास वोटिंग नहीं की थी। उनपर यह आरोप तथ्यहीन बात है। सच तो यह है कि हमारी पार्टी के तीन विधायक की खरीद-फरोख्त हुई थी। डॉ. संजीव कुमार सुलझे हुए व्यक्ति हैं। उनके आने से राजद और महागठबंधन मजबूत होगी। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में समाजवादी परिवार लगातार नई ऊंचाई प्राप्त कर रहा है। - डॉ. जयंत जिज्ञासु, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजद।
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