विकास की कहानी : स्टील फोटोग्राफी के युग से हम ड्रोन के जमाने में पहुंच चुके हैं
खगड़िया समाहरणालय से नाजिर के पद से सेवानिवृत्त 94 वर्षीय सुखदेव प्रसाद सिंह बताते हैं कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था उस समय आम लोगों के रहन- सहन ख ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, खगड़िया : खगड़िया समाहरणालय से नाजिर के पद से सेवानिवृत्त 94 वर्षीय सुखदेव प्रसाद सिंह बताते हैं कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था, उस समय आम लोगों के रहन- सहन, खान-पान की स्थिति दयनीय थी। आम लोगों को किसी तरह से दो वक्त की रोटी मिलती थी। 'मोटा खाना, मोटा पहनना' प्रचलन में था। भात किस्मत वालों को ही नसीब हो पाती थी। जो समाज में रसूखदार लोग हुआ करते थे, उनके दरवाजे पर ही लालटेन जलता था। जूता पहनना स्टेटस सिबल था।
ना तो बेहतर शिक्षा थी और ना ही बेहतर स्वास्थ्य की व्यवस्था थी। कोस-कोस की दूरी पर स्कूल और अस्पताल हुआ करते थे। अब तो गांव-गांव में स्कूल और अस्पताल हैं। पहले लोग हल्की सी बीमारी में भी अपनी जान गंवा बैठते थे। पहले मानव मृत्यु दर अधिक थी। जो बीमारी उस समय लाइलाज थी आज चुटकी में इलाज हो रहा है। देश निरंतर विकास के पथ पर आगे बढ़ा है। आजादी के बाद पूरे देश के विकास से लोगों को संतुष्ट होना चाहिए। आजादी के बाद लोगों तक बिजली, पानी, मकान, गैस आदि मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश हुई है। जिसमें इन 75 वर्षों में सरकार सफल भी हुई हैं। आज भारत महाशक्तियों के समकक्ष खड़ा है। कोरोना जैसी महामारी से निपटने में भारत सक्षम रहा। आजादी के बाद देश ने आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी तरक्की की है। रेलवे का विस्तार हुआ है। आज हर हाथ में मोबाइल है। ज्ञान-विज्ञान का दायरा बढ़ा है। स्टील फोटोग्राफी के युग से हम ड्रोन के जमाने में पहुंच चुके हैं।

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