Bihar Election: जो खुलकर सामने हैं वे तो बिगाड़ेंगे ही, अंदर भी पक रही खिचड़ी
खगड़िया जिले में नामांकन के बाद बागी उम्मीदवार खेल बिगाड़ने को तैयार हैं, जिससे एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। परबत्ता में राबिन स्मिथ, तो खगड़िया में पूनम देवी यादव मैदान में हैं। भाजपा को सीट न मिलने से कार्यकर्ताओं में निराशा है, वहीं महागठबंधन में वीआईपी भी खाली हाथ है।
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, खगड़िया। पहले चरण के नामांकन और संवीक्षा संपन्न हो चुकी है। अब जो जिले में सीन बन रहा है, उसमें बागी जहां खेल बिगाड़ने को कमर कसे हुए हैं। वहीं, अंदर ही अंदर भी खिचड़ी पक रही है।
इससे एनडीए और महागठबंधन दोनों के समक्ष परेशानी खड़ी है। परबत्ता में जन सुराज के राबिन स्मिथ बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से राजद से विधायक डॉ. संजीव कुमार मैदान में हैं।
लोजपा (रा) से बाबूलाल शौर्य भाग्य आजमा रहे हैं। बसपा प्रत्याशी राबिन स्मिथ वहां लोजपा(रा) के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं। वे जन सुराज प्रत्याशी विनय वरुण के सामने भी संकट खड़ा कर सकते हैं।
इधर, जदयू नेत्री और चार बार की विधायक (अब पूर्व) पूनम देवी यादव अब रालोजपा के टिकट पर खगड़िया से मैदान में हैं। पूनम देवी यादव पूर्व विधायक रणवीर यादव की पत्नी हैं।
रणवीर यादव 1990 में निर्दलीय खगड़िया विधानसभा से चुनाव जीतने में सफल रहे थे। उन्हें 35,504 और कांग्रेस के सत्यदेव सिंह को 16,102 मत प्राप्त हुए थे। भारी मतों से निर्दलीय प्रत्याशी रणवीर यादव की जीत हुई थी।
इधर, भाजपा को इस बार खगड़िया जिले की चार में एक भी सीट नहीं मिली। इससे कार्यकर्ताओं में भारी निराशा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा खाली हाथ रही थी। सभी चार सीटों पर जदयू लड़ा था।
राजनीति के जानकारों की माने तो इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं को कम से कम परबत्ता से टिकट मिलने की उम्मीद थी। परिणाम शून्य रहा। इंटरनेट मीडिया पर इसको लेकर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
भाजपा के जिला कोषाध्यक्ष मृत्युंजय झा कहते हैं कि कार्यकर्ताओं में दुख है, वेदना है। गठबंधन की राजनीति में हर बार खगड़िया जिले में भाजपा को ही त्याग करना पड़ रहा है। इससे कार्यकर्ताओं में आंतरिक कष्ट है।
हमलोग एनडीए प्रत्याशियों के लिए कार्य करेंगे। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अश्विनी चौधरी कहते हैं कि कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की गई है। जिला और प्रदेश नेतृत्व दोनों पर सवाल है।
दूसरी ओर महागठबंधन से वीआईपी खाली हाथ है। वीआईपी को कम से कम बेलदौर विधानसभा क्षेत्र की उम्मीद थी। मालूम हो कि बेलदौर विधानसभा में वीआईपी के आधार वोट बैंक की संख्या अच्छी-खासी मानी जाती है। वहां से कांग्रेस लड़ रही है।
कहीं न कहीं, अंदर ही अंदर वीआईपी कार्यकर्ताओं में इसकी टीस है। उनकी भी वेदना मन ही मन छलक रही है। वीआईपी के नेता खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं।
क्या कहते हैं भाजपा के खगड़िया जिला मीडिया प्रभारी व मुख्य प्रवक्ता मनीष राय
खगड़िया जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों- खगड़िया, अलौली, बेलदौर और परबत्ता में इस बार एनडीए के घटक दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें तीन विधानसभा (खगड़िया, अलौली सुरक्षित और बेलदौर) सीटों पर जनता दल (यू), एक विधानसभा (परबत्ता) सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रत्याशी एनडीए की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं।
भाजपा जिला नेतृत्व द्वारा प्रदेश एवं राष्ट्रीय नेतृत्व से आग्रह किया गया था कि खगड़िया जिले की चार विधानसभा सीटों में से कम से कम एक सीट भाजपा को दी जाए। गठबंधन की राजनीति एवं सामूहिक निर्णय के तहत इस बार भाजपा को किसी भी सीट पर प्रत्यक्ष रूप से चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला।
स्वाभाविक रूप से कार्यकर्ताओं में प्रारंभिक तौर पर थोड़ी निराशा थी। बावजूद, भाजपा के सभी कार्यकर्ता और नेता प्रदेश एवं राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले का पूर्ण सम्मान और स्वागत करते हैं।
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