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    Alauli Seat Election 2025: अलौली में बन रहा चुनावी त्रिकोण, चिराग ने नहीं उतारा अपना कैंडिडेट

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:27 PM (IST)

    बिहार के अलौली में चुनावी माहौल गरमा रहा है, जहाँ विरासत की राजनीति का त्रिकोण बन रहा है। राजनीतिक परिवारों का दबदबा और जातीय समीकरणों का महत्व यहाँ स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। विकास के मुद्दे भी मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहे हैं।

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    यशराज पासवान, रामवृक्ष सदा और रामचंद्र सदा।

    निर्भय, खगड़िया। अलौली (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर पूरे बिहार की नजर टिकी हुई है। यह सीट पासवान परिवार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। दिलचस्प बात है कि यहां से लोजपा (रा) ने प्रत्याशी नहीं दिया है। लोजपा (रा) ने अलौली के बदले परबत्ता से प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।

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    इधर, लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के चाचा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी सुप्रीमो पशुपति कुमार पारस ने अलौली से अपने इकलौते पुत्र यशराज पासवान को मैदान में उतार दिया है। यशराज पासवान ने अलौली विधानसभा से 16 अक्टूबर को रालोजपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन का पर्चा दाखिल किया।

    मालूम हो कि राजद ने अपने विधायक रामवृक्ष सदा पर भरोसा जताया है। रामवृक्ष सदा फायरब्रांड नेता माने जाते हैं, जबकि जदयू ने पूर्व विधायक रामचंद्र सदा को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीते विधानसभा चुनाव में रामचंद्र सदा लोजपा के प्रत्याशी थे और तीसरे स्थान पर रहे थे।

    2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के रामचंद्र सदा को 26,386, जदयू की साधना देवी को 44,410 और राजद के रामवृक्ष सदा को 47,183 मत प्राप्त हुए थे। जदयू प्रत्याशी साधना देवी कड़े मुकाबले में राजद प्रत्याशी रामवृक्ष सदा से मात्र 2,773 मत से पराजित हुईं थीं, लेकिन पार्टी ने इस बार साधना देवी को बेटिकट कर दिया और रामचंद्र सदा पर भरोसा जताया है।

    मालूम हो कि 2020 का चुनाव हारने के बाद रामचंद्र सदा भाजपा में गए और फिर जदयू ज्वाइन किया। रामचंद्र सदा ने ही 2010 में जदयू उम्मीदवार के रूप में लोजपा के पशुपति कुमार पारस के रथ को रोका था। उन्होंने काफी बड़े मतों के अंतर से पशुपति कुमार पारस को पराजित किया था।

    2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा के पशुपति कुमार पारस को राजद के चंदन कुमार से हार का सामना करना पड़ा था। प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहे प्रत्याशियों के मतों के बीच का अंतर काफी बड़ा था। मालूम हो कि पशुपति कुमार पारस 1977, 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 में अलौली विधानसभा से विजयी रहे हैं। सात बार उन्होंने यहां का प्रतिनिधित्व किया है।

    'जनता के सुख-दुख में हमेशा खड़े रहेंगे'

    इधर, गुरुवार को अलौली विधानसभा (सुरक्षित) से नामांकन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए यशराज पासवान ने अपने बड़े पापा स्मृति शेष रामविलास पासवान को याद किया। उन्होंने कहा कि, यह हमारा सौभाग्य है कि पार्टी (रालोजपा) ने मुझे अलौली से लड़ने का मौका दिया है। हम जनता के सुख-दुख में हर हमेशा खड़े रहेंगे।इस मौके पर रालोजपा जिलाध्यक्ष शिवराज यादव भी मौजूद रहे।

    मालूम हो कि यशराज पासवान के नामांकन के समय उनके पिता और रालोजपा सुप्रीमो पशुपति कुमार पारस भी मौजूद रहे।