किसानों के लिए सिरदर्द बना कजरा पिल्लू
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गोगरी (खगड़िया) प्रतिनिधि: अनुमंडल क्षेत्र के गोगरी सर्किल नंबर एक एवं बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के खेतों में कजरा कीड़ा का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जिससे किसानों की नींद हराम हो गई है। कजरा पिल्लू के प्रकोप से सैकड़ों एकड़ में लगी मक्का, गेहूं, सूर्यमुखी फसल बर्बाद होने लगी है।
बताते चलें कि कजरा पिल्लू बड़ी तेजी से पौधों के पत्ते को कुतर खा रहा। जिससे पौधा का सिर्फ डंठल ही खेत में लगा दिखाई देने लगा है। किसान प्रखंड कृषि पदाधिकारी से लेकर अनुभवी किसानों तक का सहयोग ले रहे हैं, पर सुझाये गए कीट नाशक के प्रयोग का असर नहीं दिख रहा है। किसानों का कहना है कि इसके लिए सरकार की ओर से मुफ्त कीट नाशक दवा दी जानी चाहिए। कजरा कीड़ा के कहर का आलम यह है कि एक एकड़ में रोजाना 25-30 पौधे नष्ट कर रहे।
क्या है कजरा कीड़ा
हल्के कजली रंगा का डेढ़ से दो इंच लंबा यह पिल्लू आमतौर पर आलू के फसल में लगता है। पर इस वर्ष मक्का व सूर्यमुखी के फसल पर भी इसका व्यापक असर देखा जा रहा है जो मकई के तने को खाता है साथ ही पत्ती को भी काटता है।
क्या करें किसान
खेतों के पौधे में इस तरह कीड़े लगने पर पहले उसकी पहचान करें कि कीड़ा किस प्रकार का है और पौधे के किस भाग को प्रभावित कर रहा। इसकी सूचना कृषि सलाहकार व वैज्ञानिक को दें तथा उससे निजात पाने के उपाय व दवा की जानकारी है।
कजरा पिल्लू से बचाव के उपाय
कजरा पिल्लू से बचाव को लेकर सावधानी के साथ खेतों में कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि रिजेंट व क्लोरपाइरीफोर नामक कीटनाशक दवा कारगर साबित हो सकती है। जिसका असर दो से तीन दिनों में फसल पर दिखेगा। कृषि वैज्ञानिक निरंजन हजारी के अनुसार पहले किसान यह देखे कि कीड़ा पौधे के किस भाग को क्षति पहुंचा रहा। अगर कीड़ा तना के अंदर घुसकर तना काट रहा तो रिजेंट नामक दवा चार से पांच दाना मकई के गभ्भे मतलब उपरी हिस्से में दें जिससे कीड़े मरेंगे और फसल में भी सुधार होगा। अगर कीड़ा तने के साथ पत्ती को भी हानि पहुंचा रहा है तो रीजेंट के अलावा क्लोरपाइरीफोर, खीराडान कारगोपायरान आदि दवा दी जा सकती है। एक लीटर पानी में से 4 एमएल दवा डालकर खेतों में छिड़काव करने से त्वरित फायदा होगा।
क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
प्रखंड कृषि पदाधिकारी दुर्गेश कुमार कहते हैं खेतों में कजरा पिल्लू लगने की शिकायत उन्हें मिल रही। बोले सरकारी स्तर पर रीजेंट, क्लोरपायरी फोर दवा अनुदानित मूल्य पर जो आधी कीमत में चिन्हित दुकानों से लेकर खेतों में डाले। उनके अनुसार किसान सामूहिक रूप से एक साथ अपने-अपने खेतों में दवा का छिड़काव करें तो ज्यादा असर करेगा। कारण किसी एक किसान के दवा छिड़काव बाद तत्काल तो खेत में कीड़े मारे जाते हैं। परंतु दवा का असर कमने के बाद दूसरे खेतों से कीड़ा पुन: पहुंच जाते हैं। सामूहिक दवा छिड़काव से पुन: कीड़े को फैलने का अवसर नहीं मिलेगा।
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