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Rahul Gandhi Bihar Visit: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में संजीवनी तलाशेगी कांग्रेस, सीमांचल में करेगी शक्ति प्रदर्शन

Rahul Gandhi Katihar Visit भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बहाने चुनाव पूर्व सीमांचल में कांग्रेस अपना शक्ति परीक्षण करने जा रही है। सीमांचल में किशनगंज अररिया और कटिहार में मुस्लिम वोट बैंक का एकतरफा रुझान लोकसभा चुनाव परिणाम को प्रभावित करता है। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में दुलालचंद्र गोस्वामी चुनाव जीतने में सफल रहे थे।

By Neeraj Kumar Edited By: Abhishek Tiwari Published: Wed, 31 Jan 2024 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2024 09:27 AM (IST)
राहुल गांधी की बारत जोड़ो न्याय यात्रा से जमीन तलाशेगी कांग्रेस (जागरण)

नीरज कुमार/जागरण संवाददाता, कटिहार। Rahul Gandhi Bihar Visit: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस जिले में अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन के लिए संजीवनी तलाशने का काम करेगी। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जदयू के एनडीए के साथ जाने के बाद कांग्रेस को आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अपने वोट बैंक को समेटकर रखने में भी मशक्कत करनी होगी।

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वर्तमान में मनिहारी व कदवा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक हैं। महागठबंधन से जदयू के अलग होने के बाद कटिहार संसदीय सीट पर कांग्रेस द्वारा अपनी दावेदारी को मजबूत करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है।

कांग्रेस सीमांचल में करेगी शक्ति प्रदर्शन

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बहाने चुनाव पूर्व सीमांचल में कांग्रेस अपना शक्ति परीक्षण भी करेगी। सीमांचल में किशनगंज, अररिया व कटिहार में मुस्लिम वोट बैंक का एकतरफा रुझान लोकसभा चुनाव परिणाम को प्रभावित करता है। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में दुलालचंद्र गोस्वामी चुनाव जीतने में सफल रहे थे।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार मोदी फैक्टर के कारण ही एनडीए प्रत्याशी की जीत हुई थी। कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व सांसद तारिक अनवर को उन्होंने शिकस्त दी थी। हालांकि, मुस्लिम बहुल इलाकों में तारिक को आशा के अनुरूप वोट मिले थे। तारिक अनवर लोकसभा में पांच बार कटिहार का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

जदयू के महागठबंधन में रहने तक तारिक को लोकसभा चुनाव में टिकट मिलना मुश्किल ही थी। जदयू के भाजपा के साथ राज्य में एनडीए सरकार बनाने के बाद सिटिंग सीट होने के कारण जदयू कटिहार में अपनी दावेदारी करेगा। सीट शेयरिंग को लेकर अंदखाने में क्या हो रहा है, यह तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा।

जानकारों के अनुसार बदले राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा भी कटिहार सीट पर अपनी दावेदारी कर सकती है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा ने चुनाव में जातीय समीकरण को बहुत हद तक तोड़ने का काम किया है।

कटिहार से कांग्रेस को उम्मीद

कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर फिर से राजनीतिक जमीन के लिए संजीवनी तलाशने की कोशिश राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कर रही है। कटिहार संसदीय सीट पर भाजपा के निखिल चौधरी भी तीन बार 1999, 2004 व 2009 के चुनाव में तारिक अनवर को शिकस्त दी थी।

तारिक अनवर पहली बार 1980 में कटिहार से ही सांसद निर्वाचित हुए थे

तारिक अनवर पहली बार 1980 में कटिहार से सांसद निर्वाचित हुए थे। 1984 में भी वे चुनाव जीते। 1989 के चुनाव में युवराज सिंह व 1991 के चुनाव में युनूस सलीम से चुनाव हार गए थे। 1996 व 1998 में लोकसभा चुनाव में वे जीते। इसके बाद कांग्रेस में विदेशी मूल के मुद्दे पर शरद पवार के साथ एनसीपी बना ली। एनसीपी के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने में वे सफल रहे थे।

बाद में वे कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। तारिक ने पहली बार 1977 में कटिहार से लोकसभा चुनाव लड़ा था। महागठबंधन में टूट के बाद अपने वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने में कांग्रेस को पसीना बहाना पड़ेगा। कदवा व मनिहारी विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए कांग्रेस द्वारा सीमांचल के चारों जिलों का चुनाव करना अपने आप में बहुत कुछ राजनीतिक इशारा कर रहा है।

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