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    बनिया टोला में जन्माष्टमी उत्सव का चार सौ साल पुराना है इतिहास

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 19 Aug 2022 09:12 PM (IST)

    संवाद सहयोगी कटिहार शहर के बनिया टोला जन्माष्टमी उत्स्व का इतिहास चार सौ वर्षों से अधिक का है। सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक रहा है। बनिया टोला में चार परिवारों द्वारा जन्माष्टमी उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कुछ दशक पूर्व तक चौधरी इस्टेट के से संबंधित मुस्लिम समुदाय के लोग भी मिलजुलकर जन्माष्टमी मनाते थे।

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    बनिया टोला में जन्माष्टमी उत्सव का चार सौ साल पुराना है इतिहास

    संवाद सहयोगी, कटिहार : शहर के बनिया टोला जन्माष्टमी उत्स्व का इतिहास चार सौ वर्षों से अधिक का है। सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक रहा है। बनिया टोला में चार परिवारों द्वारा जन्माष्टमी उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कुछ दशक पूर्व तक चौधरी इस्टेट के से संबंधित मुस्लिम समुदाय के लोग भी मिलजुलकर जन्माष्टमी मनाते थे। बनिया टोला में जन्माष्टमी का त्योहार पारिवारिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दूसरे शहरों में रहने वालों को भी जन्माष्टमी का इंतजार रहता है। बनिया टोला के जन्माष्टमी उत्सव में मटका फोड़ प्रतियोगिता का विशेष आकर्षण होता है। बनिया टोला जन्माष्टमी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित की जाती है। कांधे पर ही प्रतिमा विसर्जन की परंपरा रही है। जन्माष्टमी उत्सव मनाने वाले परिवार के पूर्वजों द्वारा अपने मुस्लिम मित्र के आग्रह पर शव दफन के लिए जमीन दी गई थी। हाल के वर्षों तक श्री कृष्ण प्रतिमा का विसर्जन जुलूस क्रबिस्तान होकर ले जाए जाने की परंपरा थी। यह सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण पेश करता था। ऐतिहासिक महत्व का होने के कारण आमलोगों की अगाध श्रद्धा बनिया टोला जन्माष्टमी मंदिर के प्रति है। जन्माष्टमी से एक पखवाड़ा पूर्व से ही बंगाल के कारीगरों द्वारा प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया जाता है। बनिया टोला में चार स्थानों पर बने मंदिर में प्रतिमा की स्थापना की जाती है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

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    भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की तैयारी जोरों पर

    रोहणी नक्षत्र मे होने वाले बनिया टोला के चार मंदिरों में जन्माष्टमी को लेकर उत्साह चरम पर है। शुक्रवार को मंदिर में प्रतिमा स्थापित की गई। पूजा का प्रसाद घर की महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है। पेड़ा, खाजा, टिकरी, बुनिया, लडडू,लाभा मिठाई, नारियल मिठाई सहित 51 प्रकार की मिठाई का भोग चढ़ाया जाता है। पंडित द्वारा वैदिक विधि विधान से पूजा संपन्न कराया जाता है।

    नंदनी उत्सव व मेले का आयोजन आज

    शुक्रवार की मध्य रात्रि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के साथ विधि विधान से मंदिर में पूजा अर्चना की गई। शनिवार की शाम नंदनी उत्सव का आयोजन किया जाएगा। जिसमे स्थानीय कलाकारों द्वारा कृष्ण भगवान के विभिन्न रूप की झांकी प्रस्तुत की जाएगी। महाआरती का आयोजन होगा। जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा। रविवार को मटका फोड़ प्रतियोगिता के प्रतिमा विसर्जित की जाएगी। इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गया कठपुतली घर

    बनिया टोला जन्माष्टमी उत्सव स्थल के समीप कठपुतली घर की अपनी विशेष पहचान थी। समय बीतने के साथ ही कठपुतली घर का अस्तित्व भी समाप्त हो गया। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि कठपुतली घर में कृष्ण लीला पर आधारित नाटक का मंचन जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण होता था। हिदु व मुस्लिम इस त्योहार को मिलजुलकर मनाते थे। समय बीतने के साथ ही कठपुतली घर भी अतीत की बात हो गई

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