Katihar News: घर के दरवाजे पर बना कुआं, आज जमीन से 30 फीट ऊपर आ गया मुंह
कटिहार के चामा गांव में गंगा नदी के किनारे स्थित एक कुआं कटाव की भयावहता का प्रतीक है। 1914 में बना यह कुआं आज जमीन से 30 फीट ऊपर है, जो कटाव की गहराई को दर्शाता है। 2007 में भीषण कटाव के कारण गाँव के कई परिवार विस्थापित हो गए। बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही विस्थापितों का मुद्दा फिर से चर्चा में है, क्योंकि कटाव की समस्या का अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकल पाया है।

मनीष कुमार सिंह, अमदाबाद (कटिहार)। चामा के समीप गंगा नदी के किनारे खड़ा कुआं, इलाके की कटाव का सिर्फ दर्द नहीं कह रहा बल्कि विभीषिका का प्रमाण भी बना है। कुआं का उपरी भाग जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है। मतलब तीस फीट के लगभग कटाव हुई है। वर्ष 1914 में रामजन्म सिंह ने अपने जीवन काल में अपने घर के दरवाजे पर यह कुआं बनवाया था।
उस समय लोगों के घरों में चापाकल भी नहीं थे। अधिकांश परिवार पानी के लिए इसी कुएं पर निर्भर थे। हंसता खेलता गांव हुआ करता था, लेकिन गंगा के कटाव से यहां के वाशिंदे अन्यत्र पलायन कर गए। कुआं अकेला यथावत खड़ा रह गया।
बताते हैं कि वर्ष 2007 में चामा गांव में गंगा से भीषण कटाव हुई थी। कटाव की जद में आकर घर-द्वार विलीन हो गए। सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए। उस विभीषिका की कहानी यह कुआं बता रहा है। चामा गांव के निकट गंगा नदी के उपाधारा में अकेले खड़ा है।
बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही विस्थापितों की पीड़ा एक बार फिर छलक कर बाहर आने लगी है। दरअसल, मनिहारी विधानसभा के अमदाबाद होकर गंगा एवं महानंदा नदी गुजरती है। ये नदियां यहां के लोगों के विस्थापन का बड़ा कारण भी रही हैं।
प्रखंड में नदियों से भूमि कटाव का अबतक स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। ऐसे में मतदाता कई ज्वलंत मुद्दों को लेकर पूछने के मूड में हैं। प्रखंड में वर्ष 2020 से कटाव की गति में वृद्धि हुई है। वर्ष 2007 में चामा गांव में गंगा से भीषण कटाव हुई थी। सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए।
गंगा के कटाव से उजड़े कई गांव:
गंगा एवं महानंदा नदी की उफान में साल दर साल कटाव की विभीषिका लोगों को झेलनी पड़ती है। हर वर्ष यहां गंगा के कटाव से विस्थापितों की तादाद बढ़ जाती रही है।
पूर्व में हुए कटाव से जहां जामुनतल्ला, धन्नी टोला, खट्टी इत्यादि गांव पूरी तरह नदी में समा चुके हैं तो पोड़ाबाद, कीर्ति टोला, युसूफ टोला, बबला बन्ना, सूबेदार टोला इत्यादि गांव कटाव की जद में है। हालांकि यह भी सच कि समय-समय पर कटाव निरोधक कार्य भी होते हैं किंतु कटाव पर अंकुश नहीं लग पाया है।
चामा गांव में भी जमकर हुआ है कटाव:
वर्ष 2007 में चामा गांव में भी जमकर गंगा नदी से कटाव हुआ था। चामा गांव की पूरी भौगोलिक दशा ही बदल गई। करीब ढाई सौ परिवार कटाव की जद में आकर बेघर हो गए थे।
ग्रामीण जालंधर सिंह, गणेश सिंह, मनोज सिंह, ओम प्रकाश चौधरी, श्याम चौधरी, खोखा सिंह, प्रेमन सिंह आदि ने कहा कि चामा गांव काफी पुराना गांव है। यहां वर्ष 1914 में निर्मित कुआं आज भी गंगा नदी की उपधार में खड़ा है। वर्ष 2007 में गंगा नदी द्वारा भीषण कटाव हुई जिसने चामा गांव को तीतर बितर कर दिया। कई लोग कटाव स्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर ही पुन: घर बना कर रह रहे हैं।
कहा कि इस समस्या पर अब तक किसी से सही ढंग से ध्यान नहीं दिया। कभी भी गंगा नदी के कटाव का रूख शेष बचे चामा गांव की ओर हो सकता है।
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