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    त्रिमुहानी संगम तट पर उमड़ी रही श्रद्धालुओं की भीड़

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:09 AM (IST)

    कटिहार। माघी पूर्णिमा के अवसर पर कुर्सेला के संगम तट पर काफी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओ ...और पढ़ें

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    त्रिमुहानी संगम तट पर उमड़ी रही श्रद्धालुओं की भीड़

    कटिहार। माघी पूर्णिमा के अवसर पर कुर्सेला के संगम तट पर काफी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने स्नान कर पूजा-अर्चना किया। सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया व अररिया आदि जिले के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। ट्रैक्टर ट्रॉली, ऑटो, बाइक तथा अन्य वाहन पर सवार होकर श्रद्धालु यहां पहुंचे और परंपरा अनुसार स्नान कर पूजा-अर्चना की। मान्यता है कि गंगा में एक बार डुबकी लगाने के बाद पूर्व जन्म के पाप के साथ अपने वर्तमान जीवन में किए गए कुकर्म का नाश होता है। काफी श्रद्धालुओं ने गंगा पार कर दूसरे छोड़ पर स्थित बाबा बटेश्वर स्थान पहुंचकर विश्राम करते हुए गंगा सेवन का सुख प्राप्त किया।

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    कुर्सेला में स्थित है तीन मुहानी गंगा : वेद ग्रंथो में वर्णित संगम उत्तरवाहिन गंगा तट पापहरणि व मोक्षदायिनी मानी जाती है। ऐसे स्थलों पर जप, तप, ध्यान, साधना, गंगा सेवन और स्नान विशेष रूप से फलित समझा जाता है। कोसी नदी और कलवलिया नदी की धाराएं यहां गंगा नदी से संगम करती है। यहां गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय की किरणें सीधे गंगा के लहरों पर पड़ती है। इससे प्रकृति का अनुपम ²श्य उपस्थित हो जाता है। नेपाल से निकलने वाली कोसी के सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है। कलवलिया नदी की एक छोटी धारा इस उत्तरवाहिनी गंगा तट से मिलकर संगम करती है। गंगा नदी पार दूसरे छोड़ पहाड़ों के बीच बाबा बटेशवरनाथ का प्रसिद्ध पौराणिक मंदिर है। धार्मिक रूप से उत्तरवाहिनी गंगा तट का यह क्षेत्र उपकासी समझा जाता है।