ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदली कलावती की किस्मत, एक कट्ठा जमीन में होती है इतनी कमाई
कटिहार जिले के फलका प्रखंड की कलावती देवी ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से अपनी किस्मत बदल दी। जीविका समूह से ऋण लेकर खेती शुरू की और यूट्यूब से प्रेरणा ली। आज वे सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये कमा रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले घर की माली हालत बहुत खराब थी लेकिन ड्रैगन फ्रूट की खेती से उन्होंने कर्ज चुकाया और बच्चों को पढ़ा रही हैं।

ए डी खुशबू, पोठिया (कटिहार)। बदलाव की इस दौड़ में जहां महिलाएं स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर होकर जीवन के हर क्षेत्र में विकास की गाथा लिखी रही हैं। उसी तरह कृषि के क्षेत्र में भी अपना लोहा मनवा रही है। संघर्ष व सूझबूझ से विषम परिस्थिति को पराजित कर घर की मजबूत कड़ी बन रही हैं। ऐसी ही एक महिला हैं कलावती मंडल, जो फलका प्रखंड क्षेत्र के शब्दा गांव की रहने वाली हैं.
उन्होंने परिवार को न सिर्फ नाजुक माली हालत और कर्ज से उभारा बल्कि आज स्वाभिमान की जिंदगी जी रही हैं। कलावती ने जीविका से समूह ऋण लेकर ड्रैगन फ्रूट की खेती की है। उन्होंने इसमें जमकर मेहतन किया और खेतों में पसीना बहाया. जिसकी बदौलत उनक किस्मत का ताला खुलता चला गया।
आज साल में डेढ़ से दो लाख रुपये कमाई हो रही है। महिला कृषक कलावती के अनुसार पहले घर के माली हालात बेहद नाजुक थी। स्थिति यह थी कि कर्ज देने में लोग हिचकिचाते थे। जब स्थिति बद से बदतर हो गई, तब उसने खुद कुछ करने का निर्णय लिया।
जिसके बाद कलावती ने जीविका समूह से ऋण लिया और ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरु कर दी। ड्रैगन फ्रूट की कमाई से पहले के कर्ज एवं समूह का ऋण चुकाया. अब वह घरेलू खर्च एवं बाल बच्चों की परवरिश कर रही हैं और उन्हें पढ़ा-लिखा रही हैं।
यूट्यूब से सीखा खेती
बकौल कलावती ड्रैगन फ्रूट खेती की प्रेरणा उन्हें यूट्यूब से मिली। वे यूट्यूब से वीडियो देखकर ड्रैगन फ्रूट खेती की शुरु की। इस काम में उनके पति ने भरपूर सहयोग किया। अभी वो महज 10 कट्ठा जमीन में ही ड्रैगन फ्रूट की खेती करती हैं. ड्रैगन फ्रूट की खेती में ही वो मिश्रित खेती भी करती हैं। अप्रैल माह से नवंबर तक पौधे से फल प्राप्त होता है।
बाजार की नहीं कमी
कलावती देवी ने बताया कि औषधि तत्वों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट के बाजार की कमी नहीं है. फल जब तैयार हो जाता है तो इसे बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। फल व्यवसायी खरीदारी करने खुद यहां पहुंच जाते हैं। अभी तीन सौ रुपये से लेकर चार सौ रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
कलावती ने बताया कि साल दर साल लागत खर्च घटता जाता है। पहले वर्ष के प्लांट में डेढ़ लाख खर्च हुआ था। दूसरे वर्ष खर्च घटकर एक चौथाई रह गया। चौथे और पांचवें वर्ष में प्रथम वर्ष की अपेक्षा काफी कम खर्च आ रहा है। इस खेती से प्रति कट्ठा 30 हजार से 40 हजार रुपए का मुनाफा होता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए तापमान सामान्य और दोमट तथा बालू मिश्रित खेतों की आवश्यकता होती है। जो यहां उपलब्ध है और ड्रेगन खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी खेती फलका प्रखंड क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है। पवन कुमार, प्रखंड कृषि पदाधिकारी
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