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    4 विधानसभा में 21 हजार से अधिक बाढ़ विस्थापित परिवार, चुनाव में उलझा सकता जीत-हार का फार्मूला

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 01:55 PM (IST)

    कटिहार जिले में बाढ़ विस्थापित परिवार कई दशकों से कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं। बरारी कदवा मनिहारी और प्राणपुर विधानसभा क्षेत्रों में ये परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा जमीन के पर्चे दिए जाने के बावजूद उन्हें अभी तक मालिकाना हक नहीं मिला है। पुनर्वास संघर्ष समिति के अनुसार जिले में 21 हजार से अधिक विस्थापित परिवार हैं।

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    बाढ़ विस्थापितों का दर्द उलझा सकता जीत-हार का फार्मूला

    आशीष सिंह चिंटू, कटिहार। कटिहार जिले की पहचान मखाना से है तो इसका राब्ता बाढ़ और बाढ़ विस्थापित परिवारों से भी है। कहीं चार दशक तो कहीं इससे भी अधिक समय से विस्थापित परिवार विवशता की जिंदगी जीने को विवश हैं।

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    इनके दर्द का समुचित इलाज सामाजिक न्याय, न्याय के साथ विकास व समावेशी विकास, अंतिम पंक्ति तक विकास और सबका साथ सबका विश्वास की सरकारें भी नहीं ढूंढ पाई। लिहाजा, बरारी, कदवा, मनिहारी और प्राणपुर विधान सभा अंतर्गत ये विस्थापित परिवार अपने आप को सभी से ठगा महसूस करते हैं।

    इनका यह दर्द राजनीतिक गणित और जीत-हार का फार्मूला उलझा सकता है। इसकी झलक जन सुराज की सभा में दिखी भी। बरारी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय सूजापुर में बीते 21 अगस्त को पीके की सभा में लोगों का हुजूम उतर आया। हालांकि पिछले साल अक्टूबर महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बरारी विधान सभा में एक कार्यक्रम के दौरान 4678 परिवारों को जमीन का पर्चा दिया।

    किंतु इन पर्चा धारियों को अब तक व्यवस्था कागजी रूप से जमीन का मालिकाना हक नहीं दे पाई है। पुनर्वास संघर्ष समिति के संस्थापक विक्टर झा ने कहा कि जिले में 21 हजार से अधिक विस्थापित परिवार हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ा इससे इतर है। बाढ़ विस्थापितों को सभी ने ठगा है। इनके आंसू की चिंता नहीं की गई। गंगा, कोसी ने गांव के गांव घर-द्वार खेत निगल लिया। लोग तटबंध, रेलवे की खाली जमीन, सड़क किनारे टीन, टूटे-फूटे फूस से बने अस्थाई ठिकानों को वर्षों से घर बनाए हैं।

    दिल में ही दबा रह गया दर्द

    वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मखाना के मजदूरों को दुख दर्द को जाना गया। पानी भरे मखाना खेत में उतरे, फौड़ी मजदूर से बात हुई किंतु विस्थापित अपनी दर्द बताने के बेताब ही रह गए। सत्तारूढ़ दल के मंचों पर भी इस पर स्पष्टता नहीं दिखना विस्थापितों को खलता है।

    विस्थापित परिवार की संख्या विधानसभा वार

    विधानसभा        संख्या

    बरारी                10200

    कदवा                 150

    मनिहारी             9000

    प्राणपुर               2000

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