अन्न के दानों से संघर्ष की कहानी सजा रहीं बेटियां, हाथ से मैगजीन लिखकर बाल विवाह और ट्रैफिकिंग को दे रही मात
किशोरी समूह द्वारा सात पंचायतों में हस्तलिखित पत्रिका निकाली जा रही है। न्यूज लेटर में समूह की बेटियां अपनी रचनाओं से बाल विवाह लैंगिक भेदभाव जैसी साम ...और पढ़ें

कटिहार, नीरज कुमार। कटिहार की सात पंचायतों में किशोरी समूह की बेटियां हस्तलिखित मासिक पत्रिका निकाल रही हैं। ‘भूमिका वार्ता’ नाम से निकाली जा रही यह पत्रिका बाल विवाह और अन्य सामाजिक कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है। थाना, पंचायत भवन और ग्रामीण लड़कियों के बीच इस पत्रिका का वितरण होता है। इससे प्रभावित होकर कई लड़कियां कम उम्र में विवाह का विरोध करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखने में सफल रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवारों की बेटियां शादी के नाम पर दलालों के चंगुल में फंस जाती हैं। किशोरी समूह ट्रैफिकिंग व फर्जी शादी के विरुद्ध मुहिम चला रहा है। समूह के प्रयास से कोढ़ा व कुरसेला प्रखंड में पिछले तीन वर्षों में 12 से अधिक लड़कियां दलालों के चंगुल में फंसने से बच चुकी हैं। इस मुहिम से बेटियों को पढ़ाने के प्रति भी जागरूकता आई है। कोढ़ा प्रखंड के रामपुर गांव में तो अब बेटी के जन्म लेने पर उत्सव भी मनाया जाता है।
ईशा सहित तीन लड़कियों ने बाल विवाह को ना कहा है। समूह की लड़कियां पत्रिका के पृष्ठ आवरण को मौसमी फसलों के दानों से आकर्षक रूप से सजाती हैं। अपने संघर्षों की कहानी लिखती हैं। कविता और चुटकुला के जरिये पत्रिका को रोचक बनाती हैं। अभी इसकी कुल 105 प्रतियां निकाली जा रही हैं। समूह की लड़कियां बाल-विवाह, दहेज उन्ममूलन, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को लेकर किए गए कार्यों की जानकारी भी पत्रिका के माध्यम से देती हैं।

पत्रिका निकालने के लिए स्वयंसेवी संस्था (भूमिका विहार) की ओर से इन लड़कियों को कागज, कलम और अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। संस्था की निदेशक शिल्पी सिंह ने बताया कि सामाजिक चेतना लाने व लैंगिक भेदभाव दूर करना पत्रिका का उद्देश्य है। कोढ़ा प्रखंड के आदिवासी बहुल गांवों में इसका अधिक असर हुआ है। प्राथमिक कक्षा के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियां आज कालेज जा रही है।
कोढ़ा और कुरसेला प्रखंड की सात पंचायतों रामपुर, बावनगंज, बहरखाल, खेरिया, रमेली, कुरसेला सहित सात पंचायत में हस्तलिखित पत्रिका निकाली जा रही है। पत्रिका से जुड़ी चांदनी और कोमल ने बताया कि बाल विवाह, दहेज उन्मूलन, फर्जी शादी के नाम पर गांव की लड़कियों को ट्रैफिकिंग से बचाने और उनमें आत्मविश्वास जगाने के लिए यह मुहिम चलाई जा रही है।
- केस स्टडी 1
कोढ़ा प्रखंड के रामपुर की काजल कुमारी की शादी घर वाले कम उम्र में ही करा देना चाहते थे। किशोरी समूह की मुहिम से प्रभावित होकर काज ने इसका विरोध करते हुए शादी करने से इंकार कर दिया। गांव में कम उम्र में किसी लड़की की शादी होने की जानकारी होते ही काजल समूह की अन्य लड़कियों के साथ वहां पहुंच जाती है। अभिभावकों को जागरूक कर आधा दर्जन बाल विवाह रूकवा चुकी है।
- केस स्टडी 2
कोढ़ा प्रखंड की सीता कुमारी को सामाजिक कुरीति के विरूद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा किशोरी समूह के प्रयास से मिली। समूह से जुड़कर कम उम्र में विवाह बंधन में बंधने से इंकार करते हुए अपने परिवार वालों के विरोध में खड़ी हो गई। बाद में अभिभावक भी उसकी बात मान उसकी पढ़ाई जारी रखी।
- केस स्टडी 3
फुलवरिया मंडल टोला की सोनी कुमारी को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी। किशोरी समूह से जुड़ने तथाा अन्य लड़कियों को हस्तलिखित पत्रिका पर रचना उकेरते देख पढ़ने के प्रति ललक बढ़ी। समूह की लड़कियों ने उसके अभिभावक को साथ स्कूल में फिर से नामांकन कराया।
- केस स्टडी 4
खेरिया गांव की चांदनी कुमारी ट्रैफिेकिंग के विरूद्ध अभियान चला रही है। हस्तलिखित पत्रिका के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही है। अशिक्षित महिलाओं के बीच लिखी गई रचना व कहानी को पढ़कर सुनाती है। फर्जी शादी के लिए आए यूपी के दलालों को खदेड़ने का काम भी किया है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।