Bihar Land Registry: नए साल से महंगी हो सकती है रजिस्ट्री, जमीन खरीदारों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
बिहार में नए साल से जमीन की रजिस्ट्री महंगी हो सकती है, क्योंकि राज्य सरकार भूमि मूल्यांकन में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इससे जमीन की सरकारी दरें बढ़ जाएंगी, जिसका सीधा असर जमीन खरीदने वालों पर पड़ेगा। रजिस्ट्री महंगी होने से खरीदारों को अधिक शुल्क देना होगा, हालांकि सरकार को इससे राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है।

अमर प्रताप, कटिहार। यदि आप हाल में जमीन खरीद-बिक्री की योजना बना रहे हैं या इसको लेकर बातचीत कर रहे हैं तो अब आपकी जेब ज्यादा ढीली होगी। अब जमीन रजिस्ट्री का शुल्क ढाी से तीन गुना तक बढ़ सकता है। ऐसे में अतिरिक्त शुल्क से बचने के लिए शेष समय में इस कार्य को पूर्ण कर लें।
नए साल के बाद आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है। इतना ही नहीं, इसके बाद जमीन व मकान की कीमत में बढ़ोतरी की भी संभावना जताई जा रही है। इसको लेकर मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने राज्य के सभी जिला अवर निबंधक को निर्देश दिया है।
दिए गए निर्देश में कहा गया है कि वर्तमान में मार्केट वैल्यू रेट (एमवीआर) यानी न्यूनतम मूल्यांकन दर (सर्किल रेट) का बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही जिला मूल्यांकन समिति के द्वारा बैठक कर आवश्यक कार्रवाई करने की दिशा में पहल करने की कवायद शुरू कर दी गई है।
भूमि का वर्गीकरण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अलग-अलग होगा निर्धारण:
विभाग द्वारा जारी निर्देशानुसार भूमि का वर्गीकरण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में वहा हुए सड़क, बाजार सहित अन्य मूलभूत सुविधा में हुए विकास को देखते हुए किया जायेगा। इसके लिए अंचलवार कमेटद का गठन किया जाएगा जो प्रत्येक पंचायत स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर अंचालाधिकारी को सौंपेगा। वहीं, प्राप्त रिपोर्ट की सत्यता की जांच करते हुए सीओ जिला मूल्यांकन समिति को देने का निर्देश दिया गया है।
बताया कि मूल्यांकन वास्तविक बाजार को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। इससे संभावना जताई जा रही है कि रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी होना लगभग तय माना जा रहा है। वर्तमान में जमीन रजिस्ट्री शहरी क्षेत्र में वर्ष 2016 व ग्रामीण क्षेत्र में वर्ष 2013 में हुए मूल्याकन के आधार पर की जाती है।
30 से 100 फीसदी तक बढ़ सकता एमवीआर:
जिले के वर्तमान में कई इलाकों में सर्किल रेट बाजार भाव से काफी कम है। जिससे रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस कम लगती है। जैसे ही नया एमवीआर लागू होगा।
रजिस्ट्री का खर्च सीधे 30 से 100 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। वहीं, जिन इलाकों का एमवीआर मौजूदा बाजार भाव व पुराना सर्किल रेट में बहुत अंतर है, उन मौजों की सूची सबसे पहले तैयार की जाएगी।
राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन का एमवीआर वर्ष 2014 और शहरी का 2016 के बाद से नहीं बढ़ा है। इस बीच जमीन की बाजार दर कई गुना बढ़ गई है। जमीन की खरीद-बिक्री में पुरानी दर से ही होती है। जिससे राजस्व प्राप्त होने से सरकार को क्षति हो रही है। जिले में राजस्व का लक्ष्य हर वर्ष बढ़ रहा है, लेकिन दर नहीं बढ़ने से इसकी प्राप्ति में परेशानी होती है। - अजय कुमार, जिला अवर निंबंधन पदाधिकारी, कटिहार

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