शरद ऋतु : ठंड से बचाव में ही है समझदारी
कटिहार, जागरण प्रतिनिधि : यूं तो ठंड का मौसम स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। इस दौरान खाने-पीने का शौक मिटाने के साथ ही जीवन का भरपूर आनंद उठाने में लोग पीछे नहीं रहते। हालांकि इस मौसम में बेफिक्री व लापरवाही लोगों को बीमार बना डालती है।
ठंड का मौसम कब
अमूमन दीपावली के बाद ठंड का मौसम दस्तक देने लगता है। कार्तिक पूर्णिमा तक मौसम इतना सर्द हो जाता है कि गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ने लगती है, खास कर रात में। अमूमन अक्टूबर मध्य व नवम्बर मध्य के बीच ठंड का मौसम आ जाता है।
ठंड के फायदे
यह मौसम सेहत की लिहाज से काफी उम्दा होता है। लोग खाने-पीने में परहेज नहीं करते, क्योंकि पाचन क्रिया ठीक रहती है। खाने-पीने की चीजें भी कम खराब होती है व इनका प्रयोग लोग लंबे समय तक करते है। योग व कसरत आदि के जरिये इस मौसम में शरीर को फिट-फाट रखा जा सकता है। इस मौसम में शारीरिक क्रियाएं काफी बेहतर होती हैं।
मौसम का नुकसान
ठंड से शरीर का बेहतर बचाव नहीं किये जाने की स्थिति में यह मौसम काफी घातक भी हो जाता है। सर्दी-खांसी आदि छोटी-मोटी बीमारियां तो अकसर हो जाया करती है। आमतौर पर ऐसे मौसम में दिन में गर्मी होती है, लेकिन रात का तापमान गिर जाता है। इसे गिरे तापमान की चपेट में आकर ही लोग बीमार पड़ते है।
क्या करे-क्या ना करे, कैसे बरते परहेज
ठंड की दस्तक के साथ ही लोगों को गर्म कपड़ों का इस्तेमाल व ठंडे खाद्य व पेय पदार्थ से परहेज शुरू कर दिया जाना चाहिए। खासकर बच्चों की विशेष हिफाजत व ख्याल रखे जाने की जरूरत है। इसके अलावा सफर के दौरान भी अपने आप को महफूज रखना जरूरी है। ट्रेन अथवा वाहन में सफर के दौरान खुली खिड़की के पास कदापि ना बैठें व संभव हो तो इस दौरान मफलर से नाक व गले को लपेटे रहें।
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क्या कहते है चिकित्सक :-
'अमूमन कान व नाक के माध्यम से ठंड का कुप्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। अत: इन अंगों को ठंडी हवा के प्रकोप से बचा कर रखा जाना चाहिए। इस मौसम में सोर थ्रोट का खतरा होता है। इसमें नाक में इनफेक्शन के जरिये गले का इनफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा अपर रेस्पेरेट्री ट्रैक इनफेक्शन भी नुकसान पहुंचाता है। वायरल इंफक्शन से सर्दी-खांसी आदि का प्रकोप होता है व लोग इससे काफी परेशान रहते है। इससे हाईली इंफक्शन होता है व इसके प्रकोप से मरीज के तीन फीट दूर के लोग भी इससे प्रभावित हो सकते है। वायरल डिजीज में सर दर्द, बुखार व बदन दर्द की शिकायतें होती हैं। इसके लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को एनलजेसिक व एंटीएलरजिक दवाएं दी जानी चाहिए। शिकायतें ज्यादा बढ़ने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।' : डा. नरेश झा, चिकित्सक, कटिहार
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