Bihar STET Exam: 'टीआरई 4.0 से पहले अनिवार्य हो एसटीईटी परीक्षा', RJD नेता की नीतीश सरकार से मांग
राजद नेता सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर एसटीईटी परीक्षा में देरी को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि एसटीईटी का आयोजन बीपीएससी टीआरई 4.0 से पहले होना चाहिए, अन्यथा हजारों योग्य युवा वंचित रह जाएंगे। सिंह ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तुरंत निर्णय नहीं लिया और एसटीईटी परीक्षा समय पर आयोजित नहीं की तो यह मुद्दा जन आंदोलन का रूप ले सकता है।

संवाद सूत्र, रामगढ़। राजद के युवा नेता तथा बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने शिक्षा से जुड़े बिहार के लाखों युवाओं के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि राज्य की नीतीश सरकार की दोहरी नीति से बिहार के बेरोजगार युवाओं के सामने रोजगार की बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है।
उन्होंने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष को पत्र लिख एसटीईटी (STET) का आयोजन बीपीएससी टीआरई 4.0 से पहले कराने की मांग की है।
सांसद ने कहा है कि एसटीईटी परीक्षा के आयोजन में हो रही देरी, असमर्थता और अनदेखी ने योग्य युवाओं के भविष्य को संकट में डाल दिया है। वर्ष 2024 के परीक्षा कैलेंडर में यह स्पष्ट किया गया था कि एसटीईटी परीक्षा वर्ष में दो बार कराई जाएगी, लेकिन अब तक केवल एक बार ही परीक्षा कराई गई है। इसका सीधा नुकसान उन अभ्यर्थियों को हो रहा है, जिन्होंने बीएड या डीएलएड सत्र 2022-24 या 2023-25 पूरा कर लिया है।
सांसद ने कहा है कि यदि टीआरई 4.0 परीक्षा एसटीईटी के पहले कराई जाती है तो हजारों योग्य अभ्यर्थी उसमें शामिल होने से वंचित रह जाएंगे। यह न सिर्फ अन्याय है, बल्कि उनकी मेहनत, प्रतिभा और योग्यता का अपमान भी है। इसको लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि बीते आठ महीनों में छात्रों द्वारा हजारों ज्ञापन, आवेदन और ई-मेल दिए गए, लेकिन बीएसईबी ने गंभीरता नहीं दिखाई। जब विभाग द्वारा एसटीईटी परीक्षा आयोजन का पत्र पत्रांक 234, दिनांक 25 अप्रैल 2025 जारी किया जा चुका है, तो अब तक आधिकारिक तिथि घोषित न करना केवल टालमटोल ही नहीं है, बल्कि सरकार की नाकामी का परिचायक है।
सांसद सुधाकर सिंह ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने तुरंत निर्णय नहीं लिया और टीआरई 4.0 से पहले एसटीईटी परीक्षा आयोजित नहीं की गई तो इसे लाखों युवाओं के भविष्य के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश मानी जाएगी। ऐसी स्थिति में यह मुद्दा जन आंदोलन का भी रूप ले सकता है।
सुधाकर सिंह ने मांग की है कि टीआरई 4.0 परीक्षा से पहले एसटीईटी परीक्षा आयोजित करने की तत्काल घोषणा की जाए और एसटीईटी परीक्षा को नियमित और वार्षिक रूप से घोषणा के अनुसार, दो बार आयोजित किया जाए।
सांसद ने कहा है कि यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है, यह लाखों परिवारों की आजीविका और बिहार की शिक्षा व्यवस्था की साख का सवाल है। यदि सरकार समय रहते फैसला नहीं लेती तो हमें जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच आंदोलन के रास्ते पर जाना पड़ेगा। सांसद ने युवाओं से अपील की है कि वे एकजुट होकर अपने हक के लिए शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ संघर्ष करें।
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