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    स्वावलंबन की मिसाल बनीं उर्मिला

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 10 Aug 2019 06:32 AM (IST)

    नहीं घटेगा मछली का दाम कभी नहीं घटेगा। आत्मविश्वास से भरे ये शब्द कैमूर जिला में रामपुर प्रखंड के बहेरी गांव की उर्मिला देवी के हैं। वह अपने गांव में महिला स्वावलंबन की मिसाल बन गई हैं।

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    स्वावलंबन की मिसाल बनीं उर्मिला

    अशोक कुमार पांडेय, कुदरा (कैमूर):

    नहीं घटेगा, मछली का दाम कभी नहीं घटेगा। आत्मविश्वास से भरे ये शब्द कैमूर जिला में रामपुर प्रखंड के बहेरी गांव की उर्मिला देवी के हैं। वह अपने गांव में महिला स्वावलंबन की मिसाल बन गई हैं। जिस भूखंड पर धान की खेती से बमुश्किल आठ हजार रुपये कमा पाती थीं, उससे अब करीब एक लाख रुपये की आमदनी हो रही है। ऐसा मछली पालन से संभव हुआ है। बैकयार्ड फिशरीज के उनके मॉडल को संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष की टीम ने भी सराहा है। अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष की कंट्री को-ऑर्डिनेटर मीरा मिश्रा के नेतृत्व में कैमूर के दौरे पर आई टीम उनके हौसले व प्रयासों से काफी प्रभावित हुई। उर्मिला बताती हैं कि वह और उसके पति नंदकिशोर सिंह दोनों स्नातक उत्तीर्ण हैं। आमदनी के लिए वे महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। चूड़ी-लहठी का काम किया, लेकिन जरूरतें पूरी नहीं हुई। उनके घर के पास जमीन का एक टुकड़ा है। उस पर धान की खेती से आठ हजार रुपये से अधिक की कभी आमदनी नहीं हुई। अंतत: उस जमीन पर तालाब खोदवा कर उर्मिला मछली पालन करने लगीं। उस तालाब से अब उन्हें सालाना लाख रुपये की आमदनी हो रही। कमाई में यह दस गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी है। तट पर सब्जी आदि की फसल: उर्मिला अपने तालाब के तट पर सब्जियां और अनाज भी उगाती हैं। रबी के मौसम में चने की फसल से अच्छी पैदावार मिली है। उनकी देखादेखी अब संपन्न लोग भी आगे बढ़ आए हैं। अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष की टीम के सदस्य नीलकंठ मिश्रा कहते हैं कि हम लोग आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और अन्य जगहों पर बैकयार्ड फिशरीज का यही मॉडल प्रमोट करते हैं। क्या है बैकयार्ड फिशरीज: बैकयार्ड फिशरीज अथवा बैकयार्ड फिश फार्मिंग छोटे और सीमांत किसानों के लिए काफी लाभदायक है। अपने संसाधनों से घर के आसपास की जमीन पर किसान तालाब तैयार कर लेते हैं। उस छोटे से तालाब से कम पूंजी निवेश में अच्छी आमदनी हो जाती है। साथ ही उसके तट पर उगाई गई सब्जी और अनाज से किसानों की भोजन की जरूरतें पूरी होती हैं। ............... 'उर्मिला जैसे लोगों के कार्य प्रेरणा देने वाले हैं। उनकी कामयाबी की कहानियों को अन्य ग्रामीणों को भी बताया जाना चाहिए, ताकि वे सीख ले सकें।'

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    - मीरा मिश्रा, कंट्री को-ऑर्डिनेटर, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष

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