Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्सवी माहौल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना राष्ट्रीय बालिका दिवस

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 25 Jan 2022 12:09 AM (IST)

    मोहनियां सोमवार को प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों पर उत्सवी माहौल में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। इस दौरान रैली व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से ...और पढ़ें

    Hero Image
    उत्सवी माहौल में आंगनबाड़ी केंद्रों पर मना राष्ट्रीय बालिका दिवस

    मोहनियां : सोमवार को प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों पर उत्सवी माहौल में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। इस दौरान रैली व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बालिकाओं को जागरूक किया गया। उन्हें राष्ट्रीय बालिका दिवस के महत्व को बताया गया। रैली में बच्चियां अपने हाथ में बैनर लिए हुए थीं। जिस पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बाल विवाह कानूनन अपराध है, भ्रूण हत्या बंद करो इत्यादि स्लोगन लिखे हुए थे। इस दौरान बच्चियों व महिलाओं को बताया गया कि समाज निर्माण में महिलाओं का समान योगदान है। लड़कियों को भी निर्णय लेने का अधिकार है। इसमें सभी क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है। मोहनियां की सीडीपीओ नीरू बाला ने बताया कि देश में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसकी शुरुआत की थी। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें गर्भ में बच्चियों का बचाव, बालिका दर में वृद्धि, उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता दर बढ़ाने सहित अन्य जागरूकता कार्यक्रम शामिल रहता है। राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने के लिए 24 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया कि इसी दिन 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसका उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों एवं उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति जागरूक करना है। भारत में लड़कियों की साक्षरता दर, उनके साथ भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा मामला है।भारत सरकार ने समाज में समानता लाने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य लोगों के बीच लड़कियों के अधिकार को लेकर जागरूकता पैदा करना और लड़कियों को नए अवसर मुहैया कराना है। यह सुनिश्चित करना है कि हर लड़की को मानवीय अधिकार मिले। लैंगिक असमानता को लेकर जागरूकता पैदा करना, बालिकाओं की समस्या का समाधान करना। महिलाओं को समाज में जिन असमानता का सामना करना पड़ता है उन सभी से छुटकारा दिलाना शामिल है। हमारे देश में बालिका हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। जिसमें लिग भेदभाव के लिए अल्ट्रासाउंड परीक्षणों को अवैध करार दिया गया है। बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा है। राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई है। सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की है। पिछड़े वर्ग की लड़कियों के लिए ओपन लर्निंग सिस्टम बनाया गया है। इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। देश में पहली बार लिगानुपात में सुधार हुआ है। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की संख्या हुई है। अब एक हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 1020 हुई है। इससे पहले यह आंकड़ा एक हजार पर 991 रहता था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें