Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लंपी रोग से बचाव के लिए 1.95 लाख गायों का टीकाकरण, पशुपालकों को सतर्कता बरतने की सलाह

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 03:00 PM (IST)

    कैमूर जिले में पशुपालन विभाग ने लंपी रोग से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जिसमें 1 लाख 95 हजार गायों को टीका लगाया गया। डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि यह रोग मच्छर टिक्स से फैलता है जिससे पशुओं में बुखार गांठें और दूध उत्पादन में कमी होती है। विभाग 36 प्रकार की दवाएं मुफ्त में दे रहा है।

    Hero Image
    लंपी रोग से बचाव के लिए 1.95 लाख गायों काे लगा टीका

    जागरण संवाददाता, भभुआ। दुधारू पशु गायों में होने वाले लंपी रोग से बचाव के लिए जिले में पशुपालन विभाग द्वारा टीकाकरण किया गया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में बीते माह अभियान चलाकर एक लाख 95 हजार गायों को टीकाकरण किया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लंपी रोग के लक्षण के बारे में जानकारी देते हुए पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग एपीओ डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि लंपी त्वचा रोग एक विषाणु जनित रोग है। जो गो जाति के पशुओं में होता है। यह रोग विषाणु, मच्छर, टिक्स, बाइटिग फ्लाई आदि के द्वारा फैलता है।

    उन्होंने कहा कि यह प्राय: रोग गायों में होता है। लंपी रोग में दो से तीन दिनों तक हल्का बुखार आता है। इसके उपरांत दो से पांच सेमी व्यास का गोलकार गांठ पूरे शरीर के चमड़ी पर दिखाई पड़ती है। गांठ गोलाकार एवं उभरी होती है। पूरे त्वचा एवं त्वचा के नीचे के भागों में कभी-कभी मांस तक को भी प्रभावित करता है।

    उन्होंने बताया कि मुंह श्वासनली एवं गले में घाव के लक्षण दिखाई पड़ते है। लीम्फ नोड का बढ़ने के साथ ही पैरों में सूजन भी आ जाती है। लंपी रोग होने के कारण दूध के उत्पादन में कमी हो जाती है।

    एपीओ ने बताया कि पशुपालन विभाग पशुओं के इलाज के लिए 36 प्रकार की दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही पशुओं के इलाज के लिए सूचना मिलने पर कर्मी पशुपालक के घर पहुंच कर इलाज कर रहे हैं। पशुपालकों की माने तो टीकाकरण के बाद भी लंपी रोग प्रभावित हो रहे है।

    रोग से बचाव के लिए क्या है सुरक्षा के उपाय

    तत्काल प्रभाव से संक्रमित एवं रोग ग्रस्त पशुओं से अलग रखना, जब तक रोग ग्रस्त पशु पूर्ण रूप से स्वस्थ न हो जाएं, रोग से प्रभावित गांवों एवं क्षेत्रों के पशुओं को अप्रभावित क्षेत्रों के पशुओं से अलग रखना तथा सार्वजनिक चारागाह एवं उनके सीधे संपर्क बचाना, पशु स्थल को नियमित रूप से विसंक्रमण करना चाहिए।

    प्रभावित पशुओं की देखभाल करने वाले को ग्लव्स एवं मास्क का उपयोग करें। किसी भी असामान्य बीमारी को नजदीकी पशु चिकित्सालय में सूचित करे। पशुओं की मृत्यु की स्थिति में पशु शव को गहरे गड्ढे में स्वच्छता उपायों के साथ दफन करना चाहिए।

    प्रभावित क्षेत्रों के गोशालाओं एवं आसपास के क्षेत्रों को मच्छर, टिक्स, फ्लाई आदि से मुक्त करने के लिए कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए। लंपी त्वचा रोग से ग्रसित पशुओं का उपयोग प्रजनन कार्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

    comedy show banner
    comedy show banner