17 साल पहले लालू यादव ने किया था शिलान्यास, आज भी है लोगों को आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना का इंतजार
आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना जिसका उद्देश्य कैमूर में पर्यटन को बढ़ावा देना था जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अधर में है। 2008 में शिलान्यास के बाद भी भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ है। हर साल बजट में प्रावधान की उम्मीद टूट जाती है। स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया है लेकिन परियोजना अभी भी लंबित है।

संवाद सहयोगी, मोहनियां। डेढ़ दशक से आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना खटाई में पड़ी हुई है। जिलेवासियों की यह बहुप्रतीक्षित परियोजना है। जो चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी। देश के प्राचीनतम मुंडेश्वरी मंदिर से इस परियोजना को जोड़ने का उद्देश्य कैमूर जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना था। लेकिन अभी तक शिलान्यास व भूमि सर्वे से आगे इसका काम नहीं बढ़ा।
वर्ष 2013 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। निर्धारित समय सीमा से 12 वर्ष का अधिक समय बीत जाने के बाद भी केंद्र व राज्य में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद उक्त महत्वाकांक्षी परियोजना का लंबित रहना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का परिचायक है।
काफी संख्या में आते हैं पर्यटक
देश के प्राचीनतम माता मुंडेश्वरी मंदिर में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। पर्यटन की दृष्टि से कैमूर जिला के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है। हर नया साल उम्मीद बनकर आता है। लोगों को लगता है कि केंद्र सरकार इस परियोजना के लिए बजट में प्रावधान करेगी।
राशि का आवंटन होने के साथ कार्य शुरू होगा। लेकिन जैसे ही बजट पेश होता है, उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। कैमूर जिला के एक विधायक व एक विधान पार्षद बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
रामगढ़, मोहनियां और भभुआ में भाजपा के विधायक हैं। भाजपा के छेदी पासवान लगातार तीन बार सासाराम के सांसद रहे हैं। इसके बाद भी इस परियोजना के ठंडे बस्ते में पड़े रहना आश्चर्य की बात है।
2008 में हुआ था शिलान्यास
देश के प्राचीनतम माता मुंडेश्वरी मंदिर को रेलमार्ग से जोड़ने को वर्ष 2008 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में सिंचाई मंत्री जगदानंद सिंह ने इस परियोजना का ताना बाना बुना था।
14 दिसंबर 2008 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने मोहनियां में इस परियोजना का शिलान्यास किया था। 122 किलोमीटर लंबी इस लाइन परियोजना पर 490 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव था।
आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन के बन जाने से पर्यटन के क्षेत्र में कैमूर जिला की अलग पहचान बनती। वहीं पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के रेल यातायात की हसरत भी पूरी होती। पूर्व सांसद छेदी पासवान द्वारा लगातार रेल मंत्री को पत्र लिखकर इस परियोजना का कार्य शुरू कराने की मांग की जाती रही।
चिरप्रतीक्षित रेल परियोजना खटाई में पड़ी
उन्होंने संसद में भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। इसके बावजूद रेल परियोजना का कार्य शुरू नहीं हो सका। सासाराम संसदीय क्षेत्र के लिए यह परियोजना काफी महत्वपूर्ण है। इसके पूरा हो जाने से जिले के विकास को ही पंख लगते। केंद्र सरकार की उदासीनता से यह चिरप्रतीक्षित रेल परियोजना खटाई में पड़ी है।
लंबे समय से केंद्र व बिहार में डबल इंजन की सरकार रही है। ऐसे में उक्त आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना का कार्य लंबित रहना लोगों को अटपटा लगता है। हर लोकसभा चुनाव में यह रेल परियोजना मुद्दा बनती रही है।
भूमि अधिग्रहण का कार्य भी प्रारंभ नहीं हुआ
जिलावासी इसे पूरा करने की मांग उठाते रहे हैं। शिलान्यास के बाद अभी तक परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य भी प्रारंभ नहीं हुआ। देश के प्राचीनतम मुंडेश्वरी मंदिर की ख्याति को ध्यान में रखकर और कैमूर जिला को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने के लिए इस परियोजना को काफी महत्वपूर्ण माना गया था।
शिलान्यास के 16 वर्षों बाद भी अभी तक धरातल पर योजना का कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 के रेल बजट में इस परियोजना को पूरा करने को राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी। इसके बाद किसी वित्तीय वर्ष में इस परियोजना के लिए बजट का प्रविधान नहीं किया गया।
आरा मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना को लेकर वे रेलमंत्री से मिलेंगे। प्रधानमंत्री को भी इस लंबित परियोजना से अवगत कराया जाएगा। सासाराम व कैमूर जिला के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है।- संतोष कुमार सिंह, श्रम संसाधन मंत्री
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