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    kamur news: भभुआ में नदी के कटाव से जमुरना गांव के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट, ग्रामीण हो रहे है परेशान

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 02:20 PM (IST)

    जमुरना गांव के तीन तरफ दुर्गावती नदी है। नदी के तटबंध में हो रहे कटाव से जमुरना गांव में बाढ़ के खतरा की आशंका से पहले ही लोग दहशत में है।सबसे अधिक खतरा मध्य विद्यालय से होकर गांव में दक्षिणी हिस्से से गुजरने वाली मुख्य सड़क का है। मुख्य सड़क नदी और नदी के तटबंध की दूरी नाममात्र को रह गई है।

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    नदी के कटाव से जमुरना गांव के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट

    संवाद सूत्र, रामगढ़। रामगढ़ प्रखंड के नरहन जमुरना पंचायत का जमुरना गांव दुर्गावती नदी के किनारे बसा है। जहां बाढ़ आते ही गांव की भौगोलिक स्थिति बिल्कुल अलग हो जाती है। टापू के रूप में तब यह गांव दिखने लगता है। जमुरना गांव के तीन तरफ दुर्गावती नदी है। नदी के तटबंध में हो रहे कटाव से जमुरना गांव में बाढ़ के खतरा की आशंका से पहले ही लोग दहशत में है।

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    हर साल बरसात के मौसम में होने वाले कटाव के मद्देनजर ग्रामीण चिंतित हैं कि उनके घर और खेत नदी में समा सकते हैं। कई किसानों के घर समा भी गए हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को जान-माल का भय सता रहा है। दुर्गावती नदी इस गांव में पश्चिमी दिशा छोड़ कर शेष तीन दिशा से यू आकार में घेरे हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि बीते साल नदी में कटाव के कारण एक घर का कुछ हिस्सा गिर गया था। इस साल भी नदी भर गई है और तेज बारिश होने पर कटाव निश्चित है।

    सबसे अधिक खतरा मध्य विद्यालय से होकर गांव में दक्षिणी हिस्से से गुजरने वाली मुख्य सड़क का है। मुख्य सड़क नदी और नदी के तटबंध की दूरी नाममात्र को रह गई है। वर्षों से हो रहे कटाव के कारण गांव का भूगोल लगातार बदल रहा है और दर्जनों घर तट के किनारे पर आ गए हैं। पूर्व मुखिया डा. संजय सिंह ने बताया कि बरसात आती है और ग्रामीणों की धड़कन तेज हो जाती है। कटाव के जद में कई घर व सड़क है। समय रहते कटाव को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। नदी तट पर पत्थर का बोल्डर लगाना अति आवश्यक है।

    उन्होंने बताया कि गांव के किसानों का 80 प्रतिशत खेत नदी के पूरब व दक्षिण दिशा में है। कटाव रोधी कार्य नहीं होने की स्थिति में दर्जनों एकड़ खेत के भी नदी में विलीन होने का खतरा पैदा हो गया है। हर साल नदी में उफान आता है और ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ता है। बता दें कि दुर्गावती नदी जमुरना गांव के उत्तर, पूरब और दक्षिण दिशा से होकर बहती है। पूरब की ओर तो यह गांव से कुछ दूर प्रवाहित होती है लेकिन उत्तर व दक्षिण में नदी गांव से बिल्कुल सटे हुए बहती है।

    जाहिर है उफान आने पर नदी जहां मुड़ती है वहां पानी के तेज बहाव के दबाव के कारण कटाव अधिक होता है। गांव के पूर्व सरपंच दिनेश सिंह, बबलू सिंह, शैलेंद्र सिंह व सच्चिदानंद सिंह आदि ने बताया कि 20 वर्ष पहले गांव के उत्तरी हिस्से में बह रही नदी अभिशाप बनती जा रही थी। दर्जनों घर एकदम से कटाव की जद में आ गए थे।

    लगा कि आधा गांव नदी में समा जाएगा। तब जगदानंद सिंह की पहल पर पांच सौ फीट से अधिक की लंबाई में तटबंध पर कटाव रोधी कार्य कराया गया। पत्थर के बड़े बड़े बोल्डर लगाए गए। इसके बाद से उत्तरी हिस्सा कुछ हद तक सुरक्षित हो गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग किया है कि गांव के दक्षिणी हिस्से में भी जान-माल की सुरक्षा के लिए नदी के तटबंध पर कटाव रोधी कार्य जरुरी है।

    नरहन में नदी के बाएं तट पर पूरा हुआ कटाव रोधी कार्य

    प्रखंड के नरहन- जमुरना पंचायत अंतर्गत नरहन मल्लाह डेरा के पास दुर्गावती नदी के बाएं तट पर कटाव निरोधक कार्य पूरा हो गया है। जबकि यहां अभी खतरे वाली स्थिति नहीं थी। बीते 18 मई को ही इस योजना का विधायक अशोक कुमार सिंह द्वारा शिलान्यास किया गया था। पंचायत के समाजसेवी कमलाकांत तिवारी व सुनील सिंह व शंकर सिंह उर्फ राजा ने बताया कि नरहन के ग्रामीणों की यह बहुप्रतीक्षित मांग थी।

    विधायक ने प्राथमिकता के तौर पर कटाव रोधी कार्य कराने की दिशा में ठोस पहल की। नदी के तट पर करीब पांच सौ फीट लंबाई में कटाव रोधी कार्य एक माह के अंदर पूरा किया गया। उन्होंने बताया कि यह योजना न केवल तटीय क्षेत्रों को कटाव से बचाएगी बल्कि किसानों की ज़मीन और गांव की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।

    बड़ौरा के आंटडीह गांव के भी यही है हालात

    रामगढ़ प्रखंड के बड़ौरा पंचायत के आंटडीह गांव बाढ़ की आशंका का दंश हर साल झेलता है। यह गांव कर्मनाशा नदी के तट पर स्थित है। यहां उतर दिशा में नदी के कटाव से गांव पूरी तरह से तट पर स्थित हो गया है। नदी के कटाव से कई घर नदी में विलीन भी हो गए हैं। यहां हमेशा बाढ़ के समय स्कूल परिसर ही लोगों के लिए आशियाना बनता है।

    मवेशियों को लेकर लोग इस स्कूल में शरण लेते हैं। नदी के कटाव से यहां भी खतरा रहता है। बाढ़ के समय प्रशासन यहां के लिए अलर्ट मोड में हो जाता है। यहां अभी कटाव रोधी कार्य नहीं हुए हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य दिनेश सिंह ने बताया कि बाढ़ के समय इस गांव की भौगोलिक स्थिति काफी खराब हो जाती है। हल्की भी बाढ़ में यह गांव चारों तरफ से पानी से घिर जाता है।