15 साल बाद भी नहीं दूर हुई अस्पताल की बदहाली, बरामदे में शव रखकर हो रहा पोस्टमार्टम
कैमूर के सदर अस्पताल में 150 बेड होने के बावजूद पोस्टमार्टम हाउस की हालत 15 वर्षों से खराब है। संसाधन न होने से डॉक्टर बरामदे में पोस्टमार्टम करने को मजबूर हैं। हर महीने लगभग 40-50 पोस्टमार्टम होते हैं। एक आधुनिक शव बॉक्स मिलने से चार अज्ञात शवों को रखने की सुविधा हुई है।

जागरण संवाददाता, भभुआ। सदर अस्पताल में पूर्व की अपेक्षा संसाधन व सुविधाएं बढ़ी हैं। सदर अस्पताल में 150 बेड हैं। लेकिन 15 वर्ष बीत जाने के बावजूद सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस की बदहाली दूर नहीं हो सकी।
इसके चलते कमरा होने के बाद भी संसाधन के अभाव में बरामदे में रखे स्ट्रेचर पर चिकित्सक शव का पोस्टमार्टम करने को विवश हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, औसतन प्रति माह 40-50 शवों का सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम किया जाता है।
यह अलग बात है कि कई बार समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रशासन चेतना जगी और पोस्टमार्टम हाउस में दो पुराने शव बॉक्स की व्यवस्था की गई। माह सितंबर में सरकार ने दो चेंबर का एक अत्याधुनिक शव बॉक्स की व्यवस्था कर दी है, जो अब क्रियाशील है।
इस प्रकार अब चार अज्ञात शव को शिनाख्त के लिए रखने की व्यवस्था हो गई है, लेकिन शवों के कमरे में पोस्टमार्टम करने की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई। उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष 2022-23 में मिशन 60 के अंतर्गत सदर अस्पताल के आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने का कार्य शुरू हुआ तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब पोस्टमार्टम हाउस का भी कायाकल्प हो जाएगा।
लेकिन इसी दौरान कार्य का पर्यवेक्षण में आए तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के साथ आने वाले राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अविनाश पांडेय ने पोस्टमार्टम हाउस की बदहाली का सवाल करने पर कहा कि मानक के अनुसार पोस्टमार्टम हाउस नहीं बना है। नए सिरे से भवन का निर्माण कराना होगा। इसके बाद लोगों की उम्मीद लगभग टूट गई।
क्या कहते हैं अधिकारी
सदर अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस में अज्ञात शव को शिनाख्त के लिए शव बॉक्स की व्यवस्था हो गई है। पोस्टमार्टम हाउस की स्थिति को सुदृढ़ कराने के लिए विभागीय वरीय पदाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। पुन: स्मार पत्र दिया जाएगा। - डॉ. चंदेश्वरी रजक, सिविल सर्जन।
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