ANM के भरोसे चल रहा स्वास्थ्य केंद्र, बिना पक्की सड़क और डॉक्टर के अभाव में ग्रामीणों की सेहत पर संकट
कैमूर जिले के जलालपुर पंचायत में स्थित स्वास्थ्य केंद्र तक सड़क न होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। कच्चे रास्तों और झाड़ियों से होकर गुजरने को मजबूर मरीज बारिश में फिसलने और जहरीले जानवरों के डर से चिंतित हैं। डॉक्टर की कमी के कारण अस्पताल एएनएम के भरोसे चल रहा है जिससे मरीजों को इलाज के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।

संवाद सूत्र, रामपुर। स्थानीय प्रखंड के जलालपुर पंचायत अंतर्गत ठकुरहट अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। मरीज कच्चे पथ व झाड़ी के बीच से होकर आ-जा रहे हैं। बरसात के इस मौसम में जहां एक तरफ कच्चे पथ में फिसलकर गिरने की आशंका बनी रहती है, वहीं विषैले जंतुओं के काटने की आशंका से ग्रामीण चिंतित रह रहे हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. रमेश कुमार ने बताया है कि सड़क निर्माण के लिए विभाग को पत्राचार किया गया है, फिर बैठक कर प्रस्ताव भेजा जाएगा। आसपास गांव के ग्रामीणों ने बताया कि इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लोहंदी, बिजरा, ठकुरहट, लिल्ली, बसिनी, गंगापुर, झलखोरा, बाघी, बाजितपुर आदि गांव के मरीज इलाज कराने आते हैं।
इन मरीजों में गर्भवती महिलाएं भी शामिल होती हैं, जो टीकाकरण के लिए आती हैं। उन्हें फिसलकर गिरने की आशंका बनी रहती है। इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक एमबीबीएस चिकित्सक डॉ. चंदन कुमार की तैनाती हैं। जो फिलहाल अधौरा के सीएचसी में प्रतिनियुक्ति पर है।
लेकिन इस अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने के कारण आसपास के गांवों के मरीज यहां आते हैं और रोग का लक्षण बताकर नर्स से दवाएं लेकर चले जाते हैं। यह अस्पताल कई वर्षों से एएनएम के सहारे संचालित हो रहा है।
यहां एमबीबीएस डाक्टर के नहीं रहने से मरीजों को परेशानी हो रही है। उन्हें लंबी दूरी तय कर बेलांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाना पड़ रहा है।
चार बेड वाले अस्पताल में पदस्थापित नहीं हैं डॉक्टर
ठकुरहट एपीएचसी में चार बेड की व्यवस्था है। ताकि मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा सके। मानक के अनुसार इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक चिकित्सक, दो एएनएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मी की नियुक्ति की जानी है।
लेकिन फिलहाल यहां चिकित्सक कार्यरत नहीं हैं। जो मरीज इस अस्पताल में आते हैं उन्हें एएनएम दवा देती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब ठकुरहट के एपीएचसी में डाक्टर पदस्थापित थे, तब वहां औसतन 70 मरीज स्वास्थ्य जांच व इलाज कराने रोज आते थे।
लेकिन अब 40-50 मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। चिकित्सक के नहीं रहने के कारण इस अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में कमी आई है। तत्काल उपचार के ख्याल से मरीज ग्रामीण डॉक्टर से दवा लेकर खा लेते हैं। वह उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उनका आर्थिक दोहन भी करते हैं।
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