झाड़ू बना कर स्वावलंबन की राह पर चल रही आधी आबादी
रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कभी घर की चौखट नहीं लांघने वाली महिलाएं अब स्वरोजगार की राह अख्तियार कर रही है।
कैमूर। रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में कभी घर की चौखट नहीं लांघने वाली महिलाएं अब स्वरोजगार की राह अख्तियार कर रही है। अब आधी आबादी स्वावलंबी राह पर निरंतर आगे बढ़ रही हैं। इनके कार्य व हौसलों को लोग सलाम कर रहे हैं। प्रखंड क्षेत्र में जीविका के तहत स्वरोजगार के कई व्यवसाय शुरू किए गए हैं। जिसमें आधी आबादी को ही इसका मुख्य स्रोत बनाया गया है। ताकि उन्हें घर बैठे रोजगार उपलब्ध हों। सिलाई, बुनाई का मामला हो या अगरबत्ती उद्योग का इन सभी में महिलाएं पारंगत हो रही हैं। जिसकी बदौलत उनका अपना खर्च तो निकल ही जा रहा है। बच्चों की शिक्षा में उनका अब अहम योगदान होने लगा है। वे अपने पुरुषार्थ की बदौलत जिदगी की गाड़ी को आगे खींच रही हैं। यही महिलाएं कभी घर का चौखट नहीं लांघती थी लेकिन वे अब झाड़ू उद्योग में निपुण हो चुकी हैं। सिलाई बुनाई के बाद समय निकाल कर चार घंटे झाड़ू के निर्माण में समय देकर अच्छी खासी आमदनी कर रही हैं। कोई मशीन पर झाड़ू का स्टीच कर रही हैं तो कोई हांथ से इसकी टैपिग कर रही है। इस धंधे में इतनी पारंगत हो गई हैं कि उनका हाथ बिल्कुल स्प्रिंग के जैसा चलता है। इस कार्य में करीब चार दर्जन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। पूरे दिन की मेहनत से इनके घर के पूरा परिवार का खर्च निकल जाता है न तो इन्हें धूप का प्रकोप और न ही ठंड का डर। वे फार्म हाउस में एक साथ बैठकर इस कार्य को निपटाती हैं। इसके लिए इनको सुपरवाइजर के रुप में मौजूद अनिल कुमार गुप्ता व बिहारी नोनिया द्वारा ट्रेनिग भी दी गई है। जो जीविका से जुड़े हुए हैं। इनके इस कार्य को देखते ही बनता है। जीविका के समन्वयक दीपक कुमार ने बताया कि रामगढ़ में इस समूह से करीब एक हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर स्वावलंबी की राह अख्तियार की हैं।