भभुआ में सात प्रखंडों में बनेगा मछली बाजार, मछुआरों को मिलेंगी कई सुविधाएं
सभी प्रखंडों में मछली बाजार बनाने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। मछली बाजार बनाने के लिए लगभग 25 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा पंचायत स्तर पर मछली बाजार बनाने के लिए चार हजार वर्ग फीट जमीन रहेगी। इस पर 15 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। मछली बाजार में मछुआरों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी।

जागरण संवाददाता, भभुआ। जिले के सात प्रखंडों में मछली बाजार बनेगा। इसके लिए पहल शुरू कर दी गई है। सभी प्रखंडों में मछली बाजार बनाने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। दुर्गावती प्रखंड से जमीन की एनओसी भी मिल गया है। जहां शीघ्र काम शुरू होने की संभावना है। बता दें कि जिले के दुर्गावती, चांद, रामपुर, चैनपुर, भगवानपुर, अधौरा व कुदरा प्रखंड में मछली बाजार बनाने के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है।
मछली बाजार बनाने के लिए आठ हजार वर्ग फीट जमीन की आवश्यकता है। जबकि मछली बाजार बनाने के लिए लगभग 25 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा पंचायत स्तर पर मछली बाजार बनाने के लिए चार हजार वर्ग फीट जमीन रहेगी। इस पर 15 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। मछली बाजार में मछुआरों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी।
जिले में नीली क्रांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह पहल की गई है। मछली बाजार में पानी, बिजली, शौचालय की व्यवस्था रहेगी। इसके साथ बड़े-बड़े टैंक भी बनाए जाएंगे। जिसमें हमेशा ताजा पानी रहेगा। विशेष मशीन पानी में आक्सीजन की उपलब्धता करेगी। जिससे टैंक में मछलियां 72 घंटा तक जीवित रह सकती हैं। मछली की खरीद बिक्री के लिए अलग-अलग स्टाल रहेगा। इससे मछुआरों को कहीं घूम कर मछली खरीद बिक्री करने से छुटकारा मिलेगा।
बता दें कि जिले में नीली क्रांति को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा कई कार्य कराए जा रहे हैं। जिले में मछली दाना उत्पादन की चार इकाई स्थापित करने का भी लक्ष्य मिला है। इसके अलावा जिले में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत दस एमटी के दो कोल्ड स्टोरेज के निर्माण का भी लक्ष्य प्राप्त हुआ है। कोल्ड स्टोरेज का निर्माण होने से जिले में मछली पालन करने वाले मछुआरों को काफी लाभ होगा।
कहते हैं पदाधिकारी
जिले के सात प्रखंडों में मछली बनाने की पहल शुरू हो गई है। दुर्गावती से एनओसी मिल गया है। शेष अंचलों के सीओ से भी शीघ्र एनओसी देने की बात कही गई है। जैसे ही एनओसी मिलेगा कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
अमरेंद्र कुमार तिवारी, मत्स्य विकास पदाधिकारी
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