कैमूर में ईको पार्क में अब ई- टिकट की होगी व्यवस्था
कैमूर जिले में स्थित प्राकृतिक कुंड जलाशय आदि जगहों पर नए साल या किसी अवकाश के दिन पर्यटकों की भीड़ जुटती है। अब अन्य दिनों में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है।

कैमूर। कैमूर जिले में स्थित प्राकृतिक कुंड, जलाशय आदि जगहों पर नए साल या किसी अवकाश के दिन पर्यटकों की भीड़ जुटती है। अब अन्य दिनों में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। बिहार के अलावा यूपी के कई जगहों से भी करकटगढ़ जलप्रपात पर भीड़ हो रही है। सरकार तथा वन विभाग के निर्देश से अब शुल्क निर्धारित की जा चुकी है। लेकिन नए साल में अधिक भीड़ हुई। जिससे टिकट काटने में परेशानी हुई तो अब टिकट की सुविधा को ऑनलाइन करने का फैसला वन विभाग ने लिया है। करकटगढ़ तथा दुर्गावती जलाशय के लिए अब ई- टिकट की व्यवस्था वन विभाग की ओर से की जा रही है। वन विभाग की ओर से उपरोक्त दोनों जगहों के लिए वेबसाइट बनाने का काम चल रहा है। उस वेबसाइट के माध्यम से प्रवेश शुल्क, तथा अन्य जगहों की टिकट को बुकिग कर सकते है। ऑनलाइन पेमेंट करने की सुविधा वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी या वेबसाइट पर अपना डाटा डाल कर सबमिट कर देना होगा। स्थल पर पहुंचने के बाद बार कोड स्कैन करने के बाद चेक किया जाएगा तथा वहां पेमेंट करने की भी सुविधा रहेगी।
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इको पार्क में प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति के लिए 20 रुपये शुल्क :
कैमूर वन प्रमंडल भभुआ के अंतर्गत करकटगढ़ के जल प्रपात के इको पार्क में प्रवेश के लिए प्रति व्यक्ति के लिए 20 रुपये शुल्क है। वन विभाग के मुताबिक रात में कैंप करने पर 200 रुपये देने होंगे। इसके लिए विभाग की ओर से टेंट लगाने का काम दोनों जगहों पर चल रहा है। अगर व्यक्ति के पास अपनी व्यवस्था होगी तो इस्तेमाल कर सकता है या नहीं होगा तो विभाग की ओर से दो बेड व अन्य चीजें उपलब्ध कराई जाएगी। जबकि करकटगढ में जाने से पहले कल्यानीपुर चेक नाका पर व्यक्तियों के सामग्री चेक की जाएगी। वहां पर प्लास्टिक ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। अगले अप्रैल महीने से कल्याणपुर चेक नाका से वन विभाग का सफारी पर्यटकों को लेकर करकतगढ़ जलप्रपात पहुंचेगा। सफारी कला पर्यटक उठा सकेंगे। इसके लिए उनको 1500 रुपए प्रति व्यक्ति का शुल्क रखा गया है। इसके अलावा वाहन पार्किंग के तहत चार पहिया के लिए 10 रुपये तथा दोपहिया के लिए पांच रुपये लिया जाएगा। करकटगढ़ के लोगों को जागरुक किया जाएगा। ईको पार्क तथा जल प्रपात के आसपास गांव वालों को खाद्य सामग्री का दुकानें लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। दुकानें लगने से गांव वालों को रोजगार का भी साधन उपलब्ध हो पाएगा । दुकानों से खाने पीने की सामग्री का बुकिग वेबसाइट के माध्यम से भी हो पायेगा। तथा वहां क्या - क्या उपलब्ध है, इसकी भी जानकारी वेबसाइट के माध्यम से हो पाएगा।
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दुकानों के स्टॉल से 500 रुपये प्रति माह शुल्क :
दुकानों के स्टॉल से 500 रुपये प्रति माह शुल्क लिया जाएगा। दुकानदारों को कई प्रकार का व्यंजन बनाने के लिए वन विभाग प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाएगा। यही चीजें दुर्गावती जलाशय पर भी लगू होगी। लेकिन वहां पर प्रति व्यक्ति का शुल्क प्राकृतिक सौंदर्य निहारने के लिए 50 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क रखा गया है। बोट से नौका विहार करने पर 50 रुपये प्रति व्यक्ति देना होगा। रात में ठहरने के लिए करकटगढ़ के प्रकार की व्यवस्था होगी। यहां भी भीतरीबांध, बादलगढ व अन्य गांव के लोगों को जागरुक किया जाएगा। नौका बिहार करने तथा उसके शुल्क व अन्य चीजों के बारे में वेबसाइट पर जानकारी मिलेगी।
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पर्यटन की बढे़गी उम्मीदें:
कैमूर के दुर्गावती जलाशय तथा करकटगढ़ में काफी विधि व्यवस्था हो जाने के बाद अब पर्यटन की उम्मीदें बढ़ेगी। दरअसल वन विभाग की ओर से अब सारी जानकारी आनलाइन कर दी जाएगी तो बाहर के लोग करकटगढ तथा दुर्गावती जलाशय के बारे में जानेंगे और यहां आएंगे। ऐसे कैमूर की ख्याति भी फैलेगी और जिले तथा वन विभाग को राजस्व की भी प्राप्ति होगी। इससे पूरे साल कैमूर में लोग प्राकृतिक चीजों को देखने आएंगे। इसके अलावा मां मुंडेश्वरी का दर्शन का आर्शीवाद भी लेंगे। वर्जन
कैमूर जिले के करकटगढ तथा दुर्गावती जलाशय पर जल्द ई टिकट की सुविधा हो जाएगी। मार्च से करकटगढ़ के लिए सफारी की भी व्यवस्था हो जाएगी। दुर्गावती जलाशय तथा करकटगढ़ के लोगों को रोजगार की दृष्टि से दुकानें भी खुलवाई जाएगी।
-विकास अहलावत,डीएफओ

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