कैमूर के लोगों के लिए खुशखबरी, दुर्गावती नदी पर बनेगा पुल, 7 करोड़ रुपये होंगे खर्च
मोहनिया विधायक संगीता कुमारी ने कुदरा बाजार और रामपुर गांव के बीच दुर्गावती नदी पर पुल का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत बनने वाले इस पुल से कुदरा बाजार सीधे रामपुर-चौरासिया पथ से जुड़ेगा। ग्रामीणों ने पुल के निर्माण पर खुशी जताई क्योंकि इससे 50 से अधिक गांवों के लोगों की परेशानियां दूर होंगी खासकर बरसात के मौसम में जब नदी पार करना मुश्किल होता है।

संवाद सूत्र, कुदरा। सरकार की ओर से कुदरा बाजार और रामपुर गांव के बीच दुर्गावती नदी पर बनाए जाने वाले पुल का शिलान्यास गुरुवार को मोहनिया की विधायक संगीता कुमारी ने समारोह पूर्वक किया।
मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत लगभग 7 करोड़ 60 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि से ग्रामीण कार्य विभाग इस नदी पुल का निर्माण करेगा। पुल का स्थान कुदरा बाजार के पश्चिमी छोर पर महावीर मंदिर के समीप निर्धारित किया गया है।
इसके बनने से कुदरा बाजार सीधे रामपुर–चौरासिया पथ से जुड़ जाएगा। शिलान्यास समारोह में जिला पार्षद श्वेता गुप्ता, लोजपा जिलाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता, रालोमा जिलाध्यक्ष उमाशंकर सिंह, डॉ. उपेंद्र कुमार सिंह, भाजपा नेता अरविंद आर्य आदि सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
इस मौके पर विधायक ने जहां क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई, वहीं, स्थानीय लोगों ने नदी पुल के शिलान्यास पर खुशी जताते हुए कहा कि पुल के बनने से इलाके के विकास को नया आयाम मिलेगा।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि नदी पुल के अभाव में कुदरा, भभुआ व रामपुर प्रखंडों के करीब 50 से अधिक गांवों के ग्रामीणों को परेशानी होती है।
रामपुर, कदई, मेउड़ा, रामडीहरा, सहजपुरा, चौखड़ा, पवरा, गोखुलपुर, धनाढ़ी, सिसवार, परशुरामपुर, लीलापुर, पोखरा, ठकुरहट, लोहंदी, मोहन डड़वां, दुबौली, भीतरी बांध आदि जैसे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को ट्रेन पकड़ने या बाजार करने के लिए कुदरा आना होता है। नदी पुल के अभाव में ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है।
सबसे अधिक परेशानी स्कूली छात्राओं को होती है क्योंकि दुर्गावती नदी से दक्षिण के गांवों में एक भी बालिका विद्यालय नहीं है। सभी बच्चियों को नदी पार कर कुदरा ही आना पड़ता है। दुर्गावती नदी बरसात के मौसम में उफान पर होती है, जिससे कुदरा बाजार और नदी के दक्षिण में स्थित गांवों के बीच सीधा संपर्क टूट जाता है।
मजबूरी में लोगों को जान जोखिम में डालकर नदी के पानी में उतरकर उसे पार करना होता है अथवा कई किलोमीटर लंबा चक्कर काटकर वैकल्पिक मार्ग से कुदरा बाजार आना पड़ता है। इसके चलते किसान अपनी उपज को समय पर मंडी तक नहीं पहुंचा पाते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
बरसात के दिनों में मरीजों को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई दशकों से वे नदी पुल की मांग करते रहे हैं। जब सरकार ने नदी पुल नहीं बनाया तो अपनी जरूरत को देखते हुए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर दो-दो नदी पुल बना डाले।
हालांकि, ग्रामीणों द्वारा बनाए गए नदी पुल इतने मजबूत नहीं हैं कि उन पर बस और ट्रक चल सके। साथ ही नदी में बाढ़ आने पर वे पुल डूब जाते हैं। सरकार के द्वारा पुल बनाए जाने से लोगों की परेशानी दूर हो जाएगी।
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