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    अपनी सुंदरता से कैमूर-रोहतास की ख्याति बढ़ा रहा दुर्गावती जलाशय

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 22 Dec 2019 04:55 PM (IST)

    1976 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री ने रखी थी नींव 2014 में हुआ उद्घाटन - नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए पहली पसंद बना दुर्गावती जलाशय गोपाल दुबे रामपुर पहाड़ी की गोद में बसे कैमूर जिले की प्राकृतिक सुंदरता काफी मनमोहक है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घि

    अपनी सुंदरता से कैमूर-रोहतास की ख्याति बढ़ा रहा दुर्गावती जलाशय

    पहाड़ी की गोद में बसे कैमूर जिले की प्राकृतिक सुंदरता काफी मनमोहक है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरे इस कैमूर जिले में ऐसे स्थल हैं जिसकी सुंदरता का दीदार करने हर कोई आना चाहता है। इसमें हर किसी के दिल में दुर्गावती जलाशय को देखने की चाहत जरूर पनपती है। यह स्थल वाकई ऐसा है भी, जो यहां एक बार आ जाए वह बार-बार यहां आने का प्रयास करता है। कैमूर व रोहतास की सीमा पर स्थित दुर्गावती नदी पर बनाए गए दुर्गावती जलाशय की चर्चा दूर-दूर तक होने लगी है। इस जलाशय को देखने आने वाले लोग कैमूर व रोहतास दोनों जिलों के पर्यटक स्थलों को देखते हैं। इससे यह जलाशय न सिर्फ कैमूर का बल्कि रोहतास की ख्याति को भी बढ़ा रहा है। खास कर पिकनिक मनाने वाले लोगों के बीच यह स्थल काफी लोकप्रिय होने लगा है। प्रकृति की सुंदर वादियों, कलकल बहती नदी की धारा में पंक्षियों की चहचहाहट, चारों तरफ से हरे-भरे पेड़ व पहाड़ की चट्टानों पर चढ़ कर घूमना लोग काफी पसंद करते हैं। इसी वजह से आने वाले नए वर्ष में पिकनिक मनाने के लिए लोगों के मन में दुर्गावती जलाशय का ख्याल बार-बार आ रहा है और यहां लोग अभी से पहुंच कर अपने स्थान को सुरक्षित करने में लगे हैं। लोगों की आवाजाही से यह उम्मीद जताई जा रही है कि दुर्गावती जलाशय पर पिकनिक मनाने के लिए लोग आतुर हैं।

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    38 साल बाद पूरा हुआ जलाशय निर्माण कार्य - इस जलाशय के निर्माण में कई प्रकार की अड़चने आई। लेकिन 38 वर्ष बाद 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा दुर्गावती जलाशय परियोजना का उद्घाटन किया गया। कैमूर व रोहतास के किसानों के खेतों की सिचाई के लिए 1976 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने इसकी नींव रखी थी। इसके बाद से यह जलाशय एक राजनीतिक मुद्दा बना और सासाराम संसदीय क्षेत्र में प्रत्येक पार्टी इसी जलाशय को मुद्दा बना कर अपनी नैया पार करने की कोशिश करता रहा। अंतत: इसके उद्घाटन का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को गया। जानकारी के अनुसार दुर्गावती नदी खुखुमा नाम के पहाड़ पर बांस के कुपड़ से निकलती है। इसमें सदैव पानी बहता रहता है। यहीं से निकलने के बाद आगे जाकर यह नदी का रूप धारण कर ली। जिसे आज दुर्गावती नदी के नाम से जाना जाता है। इस जलाशय की खास बात यह है कि इसके पूर्वी तट पर शेरगढ़ का प्राचीन किला है। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। दुर्गावती जलाशय घूमने आए लोग शेरगढ़ किला को देखना नहीं भूलते। इस किले की रहस्यमयी दीवार जो पहाड़ी को काटकर बनाई गई है वो काफी खुबसूरत है। यहां से कुछ ही दूरी पर भुड़कुड़ा का प्राचीन किला भी सैकड़ों वर्षो से विद्यमान है। शेरगढ की ऊपरी हिस्से से दुर्गावती जलाशय का विहंगम ²श्य देखते ही बनता है। साल दर साल बढ़ रही पर्यटकों की भीड़ आने वाले दिनों में इस स्थल को पर्यटन का नया केंद्र स्थापित कर सकता है।