'मौत' के मुहाने पर खड़ी है बिहार की ये नदी, बेरोकटोक गिर रहा नालों का गंदा पानी
कुदरा से गुजरने वाली ऐतिहासिक दुर्गावती नदी आज बदहाल है। कभी निर्मल जल के लिए प्रसिद्ध यह नदी अब गंदगी से भरी है जिसमें नालियों का गंदा पानी लगातार गिर रहा है। जल जीवन हरियाली जैसी सरकारी योजनाएं भी इसे बचाने में विफल रही हैं। नदी के किनारे बसे गांवों का कचरा भी इसमें मिल रहा है जिससे जल प्रदूषित हो गया है।

संवाद सूत्र, कुदरा। कुदरा से होकर बहने वाली ऐतिहासिक दुर्गावती नदी आज बदहाल स्थिति में पहुंच चुकी है। कभी स्वच्छ और निर्मल जल के लिए प्रसिद्ध यह नदी अब गंदगी का पर्याय बन गई है। नालियों का गंदा पानी बिना किसी रोक-टोक के नदी में गिराया जा रहा है, जिससे नदी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ दशक पहले तक नदी का जल इतना निर्मल था कि लोग इससे खाना पकाते थे। हालांकि आज हालत यह है कि इस नदी के जल से लोग नहाने से भी परहेज करते हैं। नदी में गिरने वाले गंदे पानी की मात्रा हर दिन बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है।
सरकारी मुहिम पर सवालिया निशान
विरोधाभास यह है कि सरकार एक ओर ‘जल जीवन हरियाली’ जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और जागरूकता अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर नदी को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। संबंधित अधिकारी और जनप्रतिनिधि सिर्फ कागजी खानापूर्ति में व्यस्त हैं।
जानकारी के अनुसार, कुदरा नगर पंचायत की नालियों का हजारों लीटर गंदा पानी रोजाना दुर्गावती नदी में गिराया जाता है। इतना ही नहीं, नदी के किनारे बसे कई गांवों की नालियां भी इसी में मिलती हैं। नतीजा यह है कि नदी का जल पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है।
सभ्यता की धरोहर खतरे में
यह सर्वविदित है कि नदियां मानव सभ्यता का आधार रही हैं। दुनिया की महान सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुईं। आज भी धार्मिक अनुष्ठान और सामाजिक परंपराएं नदियों के जल के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।
इसके बावजूद प्रशासन, सरकार और समाज की उदासीनता ने दुर्गावती नदी को मौत की कगार पर ला खड़ा किया है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस नदी को बचाने के लिए कोई आगे आएगा, या यह सभ्यता की धरोहर गंदगी में दम तोड़ देगी।
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