उकठा रोग से धान की फसल प्रभावित
प्रखंड में सूखे की मार झेल रहे किसानों को धान की फसल में लगे उकठा रोग ने और परेशान कर दिया है। चांद में सैकड़ों एकड़ धान की फसल उकठा रोग से सूख गई है। किसान परेशान एवं हलकान है कि क्या करें।
प्रखंड में सूखे की मार झेल रहे किसानों को धान की फसल में लगे उकठा रोग ने और परेशान कर दिया है। चांद में सैकड़ों एकड़ धान की फसल उकठा रोग से सूख गई है। किसान परेशान एवं हलकान है कि क्या करें। फसल को उकठा रोग से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से उपाय पूछ कर परेशान हैं, लेकिन कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। किसानों की मेहनत से पैदा की गई धान की फसल बर्बाद होने से किसान सदमें में है। उकठा रोग के बारे में बताते हुए कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा के वैज्ञानिक अमित कुमार ¨सह ने बताया कि धान की फसल में उकठा रोग की कोई दवा नहीं है। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि उकठा रोग से फसल बचाने के लिए किसान सडा गोबर का खाद वर्मी कंपोष्ट एवं जैविक खाद का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि किसान पुआल को खेत में न जलाएं। उन्होंने कहा कि पुआल जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति एवं मित्र कीट जलकर नाश हो जाता है। जिसके चलते धान की फसल में उकठा रोग लगता है। केकढा, किलनी, ईचाव, कुढनु, पिपरियां आदि गांवों में धान की फसल में उकठा रोग भंयकर लगा हुआ है।किसानों ने बताया कि उकठा रोग से 60 फीसद से 70 फीसद फसल सूख गई है। किसान संघर्ष मोर्चा ने धान फसल में उकठा रोग के नुकसान को आपदा योजना से जोड़ने की मांग की है। किसान रामविलास ¨सह, गोपाल ¨सह, मनोज कुमार, राजेश ¨सह, प्रसाद यादव ने बताया कि उकठा रोग में धान फसल में जैसे ही बाली आती है धान नीचे से सूखने लगता है। सूखने के चलते धान के दाने हल्के हो जाते हैं। धान के दाने हल्के होने से उत्पादन में काफी कमी आ जाती है।
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