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    अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उपलब्ध कराया जाएगा इलाज

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 16 Sep 2020 04:57 PM (IST)

    पोषण अभियान अंतर्गत पोषण माह का आयोजन 30 सितंबर तक किया गया है। ...और पढ़ें

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    अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उपलब्ध कराया जाएगा इलाज

    जागरण संवाददाता, भभुआ: पोषण अभियान अंतर्गत पोषण माह का आयोजन 30 सितंबर तक किया गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को इस माह होने वाली गतिविधियों की सूची भेजी है और आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। पत्र के अनुसार अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन, स्तनपान को बढ़ावा, गृह आधारित नवजात की देखभाल, सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, राष्ट्रीय कृमिमुक्ति कार्यक्रम, विटामिन ए खुराक अभियान, आइएफए अनुपूरण, टीकाकारण व ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस के आयोजनों को क्रियान्वित किया जाना है। पत्र में बताया गया है कि अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुणा मृत्यु का खतरा अधिक होता है तथा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मृत्यु का 45 प्रतिशत अतिगंभीर कुपोषण के कारण होता है। पोषण माह 2020 के अंतर्गत अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करनी है। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उम्र की तुलना में बहुत कम वजन वाले बच्चों की सूची तैयार करेंगी। उन्हें बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र रेफर किया जाएगा।

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    लक्षणों की पहचान कर किए जाएंगे रेफर:

    बीमार, सुस्त दिखाई देने वाले, स्तनपान न करने वाले या भूख की कमी, दोनों पैरों में सूजन, सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, लगातार उल्टी व दस्त होना, मिर्गी या चमकी आना, तेज बुखार, शरीर ठंडा पड़ना, खून की कमी, त्वचा पर घाव एवं उपरी बांह की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम आदि लक्षणों की जांच कर इन बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र रेफर करना है। अतिगंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों के अभिभावकों को नियमित आयरन और फॉलिक एसिड की गोली, छह माही विटामिन ए सीरप एवं अल्बेंडाजोल टैबलेट की खुराक पर परामर्श भी देना है।

    पोषण पुर्नवास केंद्र रहेंगे क्रियाशील:

    सभी पोषण पुर्नवास केंद्र क्रियाशील रहेंगे और कोविड 19 प्रोटेक्शन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अतिगंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जाना है। उपचार के बाद डिस्चार्ज बच्चों को फोन के माध्यम से फॉलोअप भी करना है।