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    छठ पर औरंगाबाद के देव की तरह गोड़सरा सूर्य सरोवर की महत्‍ता बढ़ी, यूपी से भी बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु

    Chhath Puja 2023 कैमूर में कभी इस सरोवर के रास्ते से रात में गुजरने की बात तो छोड़ दीजिए यहां दोपहर में भी कोई अकेले नहीं गुजरता था लेकिन कहावत है कि समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है। इसी तरह इस वीरान पोखरे का ऐसा भाग्य बदला कि‍ अब इसकी पहचान सूर्य सरोवर के रुप में होने लगी है।

    By Ravindra Nath BajpaiEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 17 Nov 2023 03:47 PM (IST)
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    औरंगाबाद के देव की तरह गोड़सरा सूर्य सरोवर की महत्‍ता बढ़ी, यूपी से भी बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु

    संवाद सूत्र, रामगढ़ (कैमूर): कभी इस सरोवर के रास्ते से रात में गुजरने की बात तो छोड़ दीजिए, यहां दोपहर में भी कोई अकेले नहीं गुजरता था, लेकिन कहावत है कि समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है।

    इसी तरह इस वीरान पोखरे का ऐसा भाग्य बदला कि‍ अब इसकी पहचान सूर्य सरोवर के रुप में होने लगी है, जहां सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा छठ व्रतियों के लिए दर्शनीय बनी है।

    औरंगाबाद के देव मंदिर की तरह अनोखा है प्रखंड मुख्यालय से सटे गोड़सरा का सूर्य मंदिर। देव का सूर्य मंदिर देश का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है, जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है यानी जिसका दरवाजा पश्चिम की ओर है। इसी तरह गोड़सरा का सूर्य मंदिर भी पश्चिमाभिमुख है।

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    सरोवर के बीचोबीच स्थित इस मंदिर में भगवान भास्कर की प्रतिमा सात घोड़ों के रथ पर सवार है। यहां छठ पर्व के मौके पर यूपी-बिहार के व्रतियों की भारी भीड़ होती है। प्राकृतिक सुषमा व हरियाली से आच्छादित सरोवर के चारों ओर व्रती हर साल सूर्योपासना करते हैं।

    बताया जाता है कि दो सौ वर्ष पहले गोड़सरा गांव की सनफूला कुंवर ने 52 बीघे के विस्तार में सूर्य सरोवर को जनहित के दृष्टिकोण से खुदवाया था, लेकिन बाद के समय में इस पोखरे के पिंड से रात में कोई आता-जाता नहीं था, लेकिन अब यह सरोवर रामगढ़ के धार्मिक व सामाजिक सरोकारों का प्रमुख केंद्र बन गया। जहां बड़ी संख्या में लोग छठ पर्व करने लगे।

    इस पावन जगह पर संत सुखराम दास उर्फ मुसहरवा बाबा ने यहां छह माह का यज्ञ कराया और श्रद्धालुओं की भावना का ख्याल करते हुए भव्य सूर्य मंदिर बनवाया। तब से यहां व्रतियों की भारी भीड़ उमड़ती है। खास यह कि छठ के मनभावन गीत- रुनुकी झुनकी बेटी हो मांगीला, पढ़ल पंडितवा दमाद सूर्य सरोवर के पिंड पर साकार रूप में दिखता है।

    सरोवर के दक्षिणी पिंड पर बच्चियों का मॉडल स्कूल व उत्तरी महिला कॉलेज छठ गीतों में व्याप्त बेटियों की गरिमा को चरितार्थ करता है। पश्चिमी पिंड पर वेदमाता गायत्री का मंदिर निर्माणाधीन है। सूर्य मंदिर तक जाने के लिए पश्चिमी पिंड से मंदिर तक सरोवर में सौ फीट लंबा पुल बना है।

    मंदिर में पहली मंजिल पर माता सरस्वती- लक्ष्मी व गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित है। दूसरी मंजिल पर सूर्य देवता के अलावे भगवान विश्वकर्मा, मां दुर्गा, बजरंगबली सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। यहां सालोभर दर्शन पूजन को श्रद्धालु आते रहते हैं।

    सामाजिक कार्यकर्ता मनोज सिंह ने बताया कि यहां इस वर्ष एक माह पहले ही लोग छठ घाट सुरक्षित कर लिए। भीड़ इतनी अधिक है कि यहां दो तीन लेयर में व्रती छठ घाट बनाए हैं। सभी व्रतियों को गीर गाय के दूध से अर्ध व चाय का निशुल्क इंतजाम किया गया है। 

    व्रतियों की सुविधा का किया गया है इंतजाम

    छठ महापर्व पर सूर्य सरोवर व सूर्य मंदिर का अद्भुत नजारा दिखता है। दुधिया रोशनी से सुसज्जित सरोवर पर व्रती स्नान कर मंदिर में सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं। गोड़सरा नवयुवक संघ छठ पूजा पर सभी प्रबंध करती है।

    सरोवर की सफाई के बाद चारों ओर घाट का बन चुका है। समिति के सदस्यों ने बताया कि भव्य सजावट के साथ दर्जन भर जगह पर कपड़े बदलने काे घर बनाया गया है। सरोवर के पानी को निर्मल व स्वच्छ रखने के लिए इसमें चूना डाला गया है। बोरिंग मशीन से पानी भरा जा रहा है।

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