Kaimoor News: 19.56 करोड़ हो गए खर्च, फिर भी नहीं थमा खुले में शौच का सिलसिला; बनाए गए शौचालयों का हाल-बेहाल
कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड में लोहिया स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्माण 19 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर शौचालय का निर्माण कराया गया लेकिन फिर भी खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिली। यहां बनाए गए शौचालयों की स्थिती काफी खराब हो चुकी है और शौचालय टूट कर बिखर गए हैं। कुछ शौटालयों में उपले व अन्य सामग्री भरे पड़े हैं।
संवाद सूत्र, रामगढ़। लोहिया स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले के रामगढ़ प्रखंड में निर्माण कराए गए शौचालय का हाल बदहाल है। करोड़ों रुपये सरकार का शौचालय निर्माण पर खर्च हुआ, फिर भी खुले में शौच से मुक्ति नहीं मिली। अब तो बने अधिकतर शौचालय टूट कर बिखर गए।
कुछ में उपले व अन्य सामग्री भरे पड़े हैं। ओडीएफ घोषित होने तक ही बने शौचालयों का लोगों ने किसी तरह उपयोग किया। बाद में स्थिति धीरे धीरे खराब हो गई।
क्या है शौचालयों की स्थिती
घरों से बाहर बने शौचालयों के घर से ऊपर के हिस्से भी गायब हो गए। कुछ के किवाड़ गायब हुए तो कुछ ध्वस्त भी हो गए। जबकि रामगढ़ में 19 करोड़ से अधिक की राशि इस योजना पर खर्च हुई। लेकिन वर्तमान समय में इसका उपयोग हजार लोग भी नहीं करते।
प्रखंड में सबसे पहले नरहन जमुरना पंचायत को इस अभियान में सफलता मिली। यहां केवल कार्य ही शौचालय के नहीं हुए बल्कि बाहर शौच करने जाने वालों पर निगरानी रखी जाती थी। प्रचार प्रसार कर लोगों को स्वच्छ जीवनशैली का स्लोगन भी दिया जा रहा था।
क्या काम किया गया योजना के तहत
सुबह शाम शौच के समय अधिकारी व कर्मी गाड़ी लेकर पंचायत का भ्रमण करते थे। यही कारण था कि नरहन जमुरना पंचायत जिले में नवंबर 2017 में पहली ओडीएफ पंचायत घोषित हुई। तब अन्य पंचायत के प्रधान भी इस कार्य को लेकर जागरूक होते दिखे। गांव में शौचालय बनाकर प्रोत्साहन राशि पाने की होड़ भी लगी।
लेकिन अन्य पंचायतों में यह अभियान कारगर नहीं हो सका। शौचालय निर्माण या फिर शौचालय के नाम पर राशि निकल गई। लेकिन बाहर सड़क व सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने का सिलसिला थमा नहीं। सरकार के दबाव में तय समय सीमा के अंदर प्रखंड को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।
शौचालयों के निर्माण के बाद भी लोग खुले में शौच को मजबूर
सभी पंचायतों में युद्धस्तर पर शौचालय निर्माण करने के लिए टीम बनी। मुखिया के साथ साथ पीएचइडी व मनरेगा विभाग के पदाधिकारी लगाए गए। शौचालय भी बनाए गए, लेकिन बने शौचालयों की स्थिति बहुत खराब हो गई। बड़ौरा सिसौड़ा सहुका व महुअर पंचायत के गांव का हाल यह है कि लोग सड़क को शौच का केंद्र बना लिए हैं।
जोरार गांव के बाहर बने शौचालयों का अस्तित्व भी समाप्त हो गया है। कुछ दिखते हैं तो वे बंद ही रहते हैं। फिर भी सरकार के गाइडलाइन के अनुसार प्रखंड को ओडीएफ करना ही था और रामगढ़ हाईस्कूल के मैदान में वर्ष 2018 में एक भव्य समारोह का आयोजन कर प्रखंड के सभी तेरह पंचायत के प्रधान व स्वच्छता कर्मी को तत्कालीन डीएम डॉक्टर नवल किशोर चौधरी द्वारा पगड़ी व प्रतिक चिंह दे सम्मानित किया गया।
इस पर लाखों रुपये अतिरिक्त खर्च भी हुए। लेकिन शौचालयों के बदहाली से बाहर नहीं निकाला जा सका। हालात यह है कि घरों के बाहर बने शौचालयों में से दस प्रतिशत ही लोग इसका उपयोग कर रहे हैं।
आठ पंचायतों में चल रहा है कचरा कूड़े का उठाव
स्वच्छता अभियान की एक कड़ी और भले ही जुड़ गई है, लेकिन सड़क पर शौच करने की प्रथा खत्म नहीं हो रही है। गर्मी के इस महीने में जब सभी खेत खाली पड़े हैं तो भी लोग सड़क को शौचालय का स्थान बना लिए हैं। अधिकतर गांव की सड़क किनारे लोग शौच कर रहे हैं। गंदगी से कई तरह के रोग पैदा हो रहे हैं। लेकिन लोग बाहर शौच करने से नहीं बाज आ रहे हैं।
इन पंचायतों में बने हैं शौचालय
पंचायत - बने शौचालयों की संख्या
नरहन जमुरना - 1200
देवहलियां - 1300
मसाढ़ी - 1320
सहुका - 1080
महुअर - 1360
रामगढ़ - 1290
बड़ौरा - 1063
नोनार - 1401
सिसौड़ा - 1114
सदुल्लहपुर - 1056
सिझुआं - 1336
अहिवास - 1308
बंदीपुर - 1014
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