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    Bihar Farming: धान की कटनी शुरू, आधुनिक यंत्रों से फसल अवशेष को खाद में परिवर्तित करेंगे किसान; ये है तैयारी

    बिहार के भभुआ जिले में धान की फसल की कटनी शुरू हो गई है। 15 नवंबर से धान की खरीदारी शुरू होने की संभावना है। प्रशासन फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए तत्पर है और किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहा है। कृषि विभाग किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करा रहा है जैसे रीपर कम बाइडर स्ट्रा वेलर हैपी सीडर आदि।

    By Prince Shubham Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 13 Nov 2024 02:03 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, भभुआ। बिहार के भभुआ जिले में धान की फसल की कटनी शुरू हो गई है। 15 नवंबर से जिले में धान की खरीदारी भी शुरू होने की संभावना है।

    धान की कटनी शुरू होते ही प्रशासन एक तरफ फसल अवशेष जलाने से किसानों को रोकने के लिए तत्पर है तो दूसरी तरफ फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर भी जागरूक कर रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को कृ़षि विभाग के माध्यम से कई तरह का लाभ भी दिया जा रहा है।

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    इसके लिए अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ताकि किसान फसल अवशेष को खाद के रूप में परिवर्तित कर सकें। मिली जानकारी के अनुसार कृषि विभाग द्वारा रीपर कम बाइडर, स्ट्रा वेलर, हैपी सीडर, रोटरी मल्चर, स्ट्रा रीपर, जीरो टीलेज आदि कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

    यंत्र की कीमत लगभग 2.5 से 4.5 लाख रुपये

    इसमें रीपर कम बाइडर यंत्र धान एवं गेहूं की फसल कटाई का आधुनिक यंत्र है। इसकी सहायता से फसल की कटाई के साथ बांधने का कार्य भी साथ-साथ हो जाता है। एक घंटे में लगभग 0.4 हेक्टेयर की कटाई सुगमतापूर्वक की जा सकती है। इस यंत्र की कीमत लगभग 2.5 से 4.5 लाख रुपये है।

    स्ट्रा वेलर यंत्र की क्षमता 0.34 से 0.38 हेक्टेयर प्रति घंटा है। स्ट्रा बेलर खेतों में बिखरे पुआल को एकत्रित कर ठोस वर्गाकार गांठ बना देता है। इससे पुआल को एक जगह से दूसरे जगह करने में आसानी होती है तथा उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

    इस मशीन की सहायता से किसान अपने पशुओं के लिए चारा का बंदोवस्त कर सकते हैं। हैपी सीडर यंत्र की क्षमता 0.30 से 0.40 हेक्टेयर प्रति घंटा है। कंबाइन मशीन द्वारा काटे गए धान के खेतों में बिना पुआल जलाए गेहूं की बोआई की जा सकती है।

    यह मशीन पुआल को काट कर मल्चर के रूप में जमीन में मिला देती है और बोआई भी सुगमता से की जा सकती है। हैपी सीडर द्वारा गेहूं की जीरो टीलेज विधि से बोआई करने पर आठ सौ से एक हजार रुपये तक की बचत होती है। रोटरी मल्चर यंत्र की क्षमता 0.30 से 0.40 हेक्टेयर प्रति घंटा है।

    इस यंत्र के उपयोग से मिट्टी की नमी को संरक्षित किया जा सकता है। इससे काटे गए अधिक धान के पुआल एवं खर पतवारों को काट कर मिट्टी में मिलाया जा सकता है। पुआल को काट कर मिट्टी में मिलाने से यह जैविक खाद में परिवर्तित हो जाता है।

    कृषि यंत्रों की खरीद के लिए किसानों को करना होगा ऑनलाइन आवेदन

    स्ट्रा रीपर यंत्र भूसा बनाने के लिए प्रयोग में किया जाता है। इसकी सहायता से किसान भूसा बना कर उसे विक्रय कर आर्थिक लाभ कमा सकते हैं। कृषि यंत्रों की खरीद के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद प्रक्रिया पूर्ण कर उन्हें कृषि यंत्र की खरीद करने पर अनुदान दिया जाएगा।

    इस संबंध में डीएओ रेवती रमण ने बताया कि कृषि यंत्रों की खरीद व उसका उपयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

    किसानों से फसल अवशेष नहीं जलाने की अपील की गई है। यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाते हैं और वे चिह्नित होंगे तो योजनाओं के लाभ से वे तीन वर्ष के लिए वंचित हो जाएंगे।

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