भारतमाला प्रोजेक्ट: किसानों की 1700 एकड़ खड़ी फसल पर चला दिया बुलडोजर, होईकोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Bharat Mala Project में किसानों की खड़ी फसल रौंदने के मामले में सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने अधिकारियों से 10 दिसंबर तक जवाब मांगा है। किसानों का आरोप है कि बिना मुआवजा दिए उनकी फसल बर्बाद कर दी गई। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।

हाईकोर्ट ने अधिकारियों से 10 दिसंबर तक मांगा
संवाद सूत्र, चांद। कैमूर जिले में भारत माला परियोजना (बनारस–रांची–कोलकाता एक्सप्रेसवे) के लिए अधिग्रहित भूमि पर किसानों की खड़ी धान की फसल को जेसीबी और पोकलेन मशीनों से रौंदे जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।
बिना मुआवजा दिए फसल नष्ट करने की इस कार्रवाई को कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए संबंधित सभी अधिकारियों से 10 दिसंबर 2025 तक जवाब मांगा है।
भोला सिंह द्वारा दायर वाद की सुनवाई 19 नवंबर को करते हुए न्यायमूर्ति अभिषेक रेड्डी ने कहा कि अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिए बिना किसानों की फसल रौंदना कानून के खिलाफ है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जवाब देना होगा।
1700 एकड़ फसल की नष्ट
न्यायालय ने जवाब मांगते हुए जिलाधिकारी, एडीएम, अनुमंडल पदाधिकारी, भभुआ, थाना प्रभारी, चांद, अंचलाधिकारी, चैनपुर
प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआइ, प्रोजेक्ट मैनेजर, पीएनसी कंपनी को नोटिस दिया है।
बता दें कि सितंबर महीने में एनएचएआइ ने पुलिस प्रशासन की मदद से कैमूर जिले में अधिग्रहित लगभग 1700 एकड़ भूमि में रोपी गई धान की फसल को मशीनों से नष्ट कर दिया था।
बिना सूचना के नष्ट कर दी फसल
किसानों ने आरोप लगाया था कि बिना मुआवजा दिए, बिना पूर्व सूचना और जबरन पुलिस बल लगाकर उनकी फसल को नष्ट कर दिया गया। इसका किसानों ने विरोध किया। फसल रौंदने के दौरान विरोध कर रहे दस किसानों पर कार्रवाई की गई। कुछ किसानों को गिरफ्तार भी किया गया।
किसानों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें डराने-धमकाने और आंदोलन दबाने की कोशिश की। किसानों का एक जिला एक परियोजना एक भूमि एक मुआवजा की मांग को लेकर आंदोलन पिछले ढाई साल से जारी है।
कैमूर में 57 किलोमीटर हिस्सा
कैमूर जिले में एक्सप्रेस-वे का 57 किलोमीटर हिस्सा बनाया जाना है, जिसके लिए चांद, चैनपुर, रामपुर, भगवानपुर और भभुआ प्रखंडों के किसानों की कीमती जमीन अधिग्रहित की गई है।
किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के जिलाध्यक्ष विमलेश पांडेय ने कहा कि प्रशासन, एनएचएआइ और पीएनसी कंपनी के द्वारा रौंदी गई धान की एक-एक पाई कीमत किसानों को दिलाई जाएगी। मामला हाईकोर्ट में है और न्याय मिलेगा।

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