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    ऐतिहासिक भभुआ को फिर संवारने की जरूरत, विकास के साथ जन-जागरूकता भी जरूरी

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 04:04 PM (IST)

    कैमूर जिले का मुख्यालय भभुआ, ऐतिहासिक पहचान के बावजूद बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। 1991 में जिला बनने से पहले यह अनुमंडल था। विकास कार्यों के बावज ...और पढ़ें

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    भभुआ को ग्रीन सिटी बनाने की कोशिश 

    जागरण संवाददाता, भभुआ।कैमूर जिले का मुख्यालय भभुआ अपनी ऐतिहासिक पहचान और प्रशासनिक महत्व के बावजूद आज कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। 17 मार्च 1991 को कैमूर जिले की स्थापना हुई थी, लेकिन इससे पहले भभुआ एक अनुमंडल के रूप में जाना जाता था। वर्ष 1887 में गठित भभुआ नगरपालिका का भवन आज भी इसकी ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है। आजादी के बाद प्रशासनिक ढांचे में बदलाव आया और 2002 में भभुआ को नगर पंचायत का दर्जा मिला। इसके बाद 2007 में इसे नगर परिषद बनाया गया और वर्तमान में नगर क्षेत्र 25 वार्डों में विस्तारित हो चुका है। करीब डेढ़ लाख की आबादी वाला यह नगर विकास की दौड़ में पीछे छूटता नजर आ रहा है।

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    वर्ष 2014 में भभुआ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह की पहल पर गुलाबी शहर जयपुर की तर्ज पर पूरे नगर को हरे रंग में रंगकर ‘ग्रीन सिटी’ के रूप में विकसित करने की योजना बनी। शुरुआती दौर में यह प्रयोग चर्चा का विषय बना, लेकिन देखरेख और निरंतर प्रयास के अभाव में यह पहचान एक वर्ष में ही समाप्त हो गई। आज जरूरत है कि उस परिकल्पना को नए सिरे से जीवित किया जाए।

    भभुआ नगर में बना समाहरणालय पूरे राज्य में विशिष्ट माना जाता है। विशाल और भव्य भवन के साथ हरे-भरे परिसर में डीएम, एसपी, एडीएम, डीडीसी समेत लगभग सभी वरीय अधिकारियों के कार्यालय स्थित हैं। इससे आम लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए भटकना नहीं पड़ता। बावजूद इसके नगर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।

    नगर में सड़क, नाली-गली, नल-जल योजना, चौक-चौराहे और स्टेडियम जैसे विकास कार्य हुए हैं, लेकिन रखरखाव की कमी के कारण इनका लाभ सीमित रह गया है। कई वार्डों में नालियां जाम हैं, गलियां बदहाल हैं और नल-जल योजना का पानी सभी घरों तक नियमित नहीं पहुंच पा रहा। अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम नगर की सबसे बड़ी समस्या बन गई है।

    भभुआ के पूरब में कुकुरनहियां और पश्चिम में सुवरन नदी बहती हैं, लेकिन दोनों ही नदियां उपेक्षा का शिकार हैं। नगर का गंदा पानी और कचरा इन्हीं नदियों में डाला जा रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। वहीं सफाई व्यवस्था के लिए संसाधन बढ़ने के बावजूद नगर परिषद अब तक कूड़ा डंपिंग के लिए स्थायी स्थल तय नहीं कर सकी है।

    इसके अलावा नगर में न तो वाहन स्टैंड है और न ही बाइपास सड़क, जिससे जय प्रकाश चौक और पटेल चौक पर रोजाना जाम की स्थिति बनी रहती है। अब समय आ गया है कि जनप्रतिनिधि, प्रशासन और आम नागरिक मिलकर भभुआ को फिर से संवारने का संकल्प लें, ताकि यह ऐतिहासिक नगर स्वच्छ, सुंदर और व्यवस्थित रूप में अपनी पहचान बना सके।